MahaKumbh 2025: आप जीवन में सिर्फ एक बार ही हो सकते हैं इसमें शामिल, जानें क्यों

Published : Jan 13, 2025, 08:58 AM IST
Maha Kumbh Mela Photos

सार

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आगाज हो गया है। यह 144 साल में एक बार आने वाला धार्मिक आयोजन है, जिसमें दुनिया भर से 40 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पहले शाही स्नान के साथ ही सोमवार को महाकुंभ 2025 (MahaKumbh 2025) की शुरुआत हो गई। यह मेला 26 फरवरी तक चलेगा। यह दुनिया भर में अब तक होने वाला इंसानों का सबसे बड़ा समागम है। अगर आपके दिल में भी महाकुंभ मेला में जाने की इच्छा है तो आपके पास 26 फरवरी तक का ही समय है। अगर इस दौरान नहीं जा सके तो इस जीवन में फिर कभी महाकुंभ में शामिल नहीं हो पाएंगे।

महाकुंभ मेला में लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करते हैं। इसका बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। 45 दिन तक चलने वाले महाकुंभ मेला में 40 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यटकों के लिए व्यापक व्यवस्था की है। प्रयागराज को इस तरह से सजाया गया है कि यहां आते ही लोग आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जा रहे हैं।

आप क्यों अपने जीवन में एक बार ही महाकुंभ में शामिल हो सकते हैं?

महाकुंभ 2025 हाल के इतिहास में पृथ्वी पर आयोजित होने वाला सबसे बड़ा आयोजन है। इसमें आज दुनिया में मौजूद लोग सिर्फ एक बार भाग ले सकते हैं। क्योंकि अगले महाकुंभ का आयोजन 144 साल बाद होगा। इंसान की उम्र इतनी अधिक नहीं कि दो माहकुंभ में शामिल हो सके। अर्ध महाकुंभ हर छह साल में होते हैं। आप इसमें कई बार हिस्सा ले सकते हैं।

महाकुंभ हर 144 साल पर होता है। यह समागम चार शहरों में से किसी एक में होता है। ये शहर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां अमरता के अमृत की बूंदें गिरी थीं। महाकुंभ कहां आयोजित होगा यह फैसला बृहस्पति की स्थिति के आधार पर किया जाता है। महाकुंभ मेला अब 144 साल बाद 2169 में आयोजित किया जाएगा। इस मेले में हर नया व्यक्ति शामिल होगा।

144 साल के अंतराल पर क्यों आयोजित होता है महाकुंभ मेला?

महाकुंभ मेला तब आयोजित होता है जब सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति और शनि एक दूसरे के साथ संरेखित होते हैं। यह खगोलीय स्थिति हर 144 साल में एक बार होती है। अगली बार यह 2169 में होगा।

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