संभालकर रखिए अपना थंब प्रिंट, मैनपुरी में जालसाजों ने एकाउंट खाली करने के लिए अपनाया ये तरीका

Published : Jun 02, 2023, 11:56 AM ISTUpdated : Jun 02, 2023, 11:57 AM IST
fraudsters withdraw money from bank account by cloning thumbprint

सार

आजकल एकाउंट से पैसा गायब हेाने की शिकायतें आम हो गई हैं। यूपी के मैनपुरी में पहले फर्जी ऐप के जरिए जालसाज लोगों को चूना लगाते थे। अब रजिस्ट्री विभाग से डाटा चोरी कर अंगूठे का क्लोन बनाकर बैंक खातों से पैसा उड़ाया जा रहा था।

मैनपुरी। आजकल एकाउंट से पैसा गायब हेाने की शिकायतें आम हो गई हैं। यूपी के मैनपुरी में पहले फर्जी ऐप के जरिए जालसाज लोगों को चूना लगाते थे। अब रजिस्ट्री विभाग से डाटा चोरी कर अंगूठे का क्लोन बनाकर बैंक खातों से पैसा उड़ाया जा रहा था। पुलिस ने इस गिरोह का खुलासा किया है। ​गिरोह के 6 जालसाजों को दबोचा गया है। पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है।

आनलाइन फ्राड के शिकार शख्स की शिकायत पर हुआ खुलासा

दरअसल, बेवर के हरीनगर ​गांव के रहने वाले सुशील कुमार ने यह शिकायत दर्ज कराई थी कि अज्ञात लोगों ने उसके बैंक खाते से 19 हजार रुपये निकाले हैं। बेवर पुलिस ने केस दर्ज कर छानबीन शुरु की तो जालसालों के गिरोह के बारे में पता चला। पुलिस ने गुरुवार को गिरोह के 6 मेंबर्स को अरेस्ट किया है। उनके पास से 64 हजार 30 रुपये, बायोमीट्रिक मशीन, बाइक व कार आदि बरामद हुआ है। अरेस्ट किए गए आरोपियों में कन्नौज के रहने वाले रवि शर्मा, अंकित, नितिन कुमार, राहुल शर्मा, अंकित शाक्य हैं। उनके पास से 26 आधार कार्ड, अंगूठे की छाप की क्लोनिंग बनाने का सामान भी बरामद हुआ है। आरोपियों ने पुलिसिया पूछताछ में बताया कि वह लोग एक आरोपी रवि शर्मा के रिश्ते के भाई कुंदन के साथ मिलकर रजिस्ट्रेशन विभाग की वेबसाइट से डाटा हासिल करते थे। इसके अलावा तहसीलों की रजिस्ट्री का डाटा भी प्राप्त करते थे।

आनलाइन फ्राड करने वाले ऐसे बनाते थे अंगूठों की छाप

आरोपी अंगूठों की छाप का क्लोन तैयार करने के लिए तकनीक का सहारा लेते थे। पूरी बात सुनकर आप भी अचरज में पड़ जाएंगे। वह पहले जमीन की रजिस्ट्री के दस्तावेजों से खरीदने व बेचने वाले के अंगूठों के निशान लैपटाप की मदद से एडिट करते थे। फिर उन्हें बटर पेपर पर प्रिंट करते थे। उस प्रिंट को शीशे की सीट पर रखकर, उसके ऊपर सादी पन्नी लगाते थे और फिर उसके चारो तरफ डबल टेपिंग कर देते थे। फिर फोटो पॉलीमर जैल डालकर दूसरी शीशे की सीट लगाते थे और उसे क्लिप लगाकर टाइट कर देते थे। कुछ समय बाद दोनों शीशों की सीट से पॉलीमर निकाल लेते थे और अंगूठे के निशान को काट कर क्लोन तैयार करते थे। आरोपियों ने यह भी बताया कि वह फर्जी जनसेवा केंद्रों के जरिए भी जालसाजी कर चुके हैं। आनलाइन केवाईसी एक्टीवेट कराने के बाद बैंक उन्हें यूजर आईडी और पासवर्ड उपलब्ध करा देता था। फिर वह फिंगर प्रिंट के क्लोन के जरिए ऐप के माध्यम से लोगों के बैंक एकाउंट से पैसे निकालते थे।

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