सार

प्रयागराज महाकुंभ में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ऐतिहासिक पेशवाई निकाली गई। हजारों श्रद्धालुओं ने 108 जगहों पर उनका स्वागत किया। गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करने के संदेश के साथ यह पेशवाई यादगार बन गई।

प्रयागराज. 9 जनवरी को प्रयागराज के महाकुंभ नगर में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज की भव्य पेशवाई निकाली गई। यह आयोजन पत्थरचट्टी रामबाग से प्रारंभ हुआ और अपनी ऐतिहासिक भव्यता के लिए चर्चा में रहा। इस दौरान पेशवाई में चल रहे साधुओं ने अलग-अलग करतब भी दिखाए।

1. 108 स्थानों पर भव्य स्वागत

पेशवाई के मार्ग में 108 स्थानों पर शंकराचार्य जी का भव्य स्वागत किया गया। हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्वागत के लिए सड़कों पर खड़े रहे। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि प्रयागराज के लोगों के लिए भी एक अनोखा अनुभव रहा।

2 आकर्षण के केंद्र

इस पेशवाई में संत महात्माओं की उपस्थिति, ढोल-ताशे, डमरू व नृत्य प्रस्तुतियों ने आयोजन को और भी आकर्षक बनाया। यह आयोजन पूरे मार्ग पर एक आध्यात्मिक उत्सव जैसा प्रतीत हुआ।

3. गौ माता के प्रति समर्पित

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस पेशवाई को गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करने के उद्देश्य से समर्पित किया। यह संदेश श्रद्धालुओं के दिलों में गहरी छाप छोड़ गया।

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4. रूट और भव्यता का वर्णन

पेशवाई का मार्ग पत्थरचट्टी से मलाका सब्जी मंडी, मोती महल चौराहा, चमेलीबाई धर्मशाला, जानसेनगंज, चौक घंटाघर, बहादुरगंज, और कीटगंज से होता हुआ बांध के रास्ते कुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचा। शंकराचार्य शिविर में पेशवाई का समापन हुआ।

5. यातायात व्यवस्था और प्रशासन की चुनौती

इस भव्य आयोजन के दौरान मार्ग में भारी भीड़ और यातायात जाम देखा गया। प्रशासन को स्थिति संभालने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन श्रद्धालुओं का उत्साह और आयोजन की सफलता ने इसे यादगार बना दिया।

यह पेशवाई महाकुंभ नगर के इतिहास में अपनी भव्यता और उद्देश्यों के लिए विशेष स्थान रखती है। शंकराचार्य की उपस्थिति और गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करने का संदेश इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

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