54 साल बाद खुला श्री बांके बिहारी मंदिर का खजाना, सबको हैरत में डाल गया अंदर का मंजर

Published : Oct 19, 2025, 02:30 PM IST
mathura banke bihari temple treasure controversy

सार

54 साल बाद मथुरा के श्री बांके बिहारी मंदिर का खजाना धनतेरस पर खोला गया, लेकिन मिला सिर्फ मलबा और खाली संदूक! सेवायतों ने उठाए सवाल, आखिर ठाकुरजी का माल कहां गया? दो बार हो चुकी चोरी, जांच की मांग तेज।

मथुरा: 54 वर्षों से बंद ठाकुर श्री बांकेबिहारी मंदिर का रहस्यमयी तोषखाना आखिरकार धनतेरस के शुभ अवसर पर खोला गया, लेकिन जो सामने आया, उसने सभी को स्तब्ध कर दिया। उम्मीदें थीं कि यहां सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात का अम्बार मिलेगा, परंतु खजाने में तो खाली संदूक, टूटे हुए कुंदे और पुराने बर्तन ही मिले। अब बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है, आखिर ठाकुरजी का खजाना गया कहां?

खजाने में निकले खाली बक्से और पुराने बर्तन

शनिवार को जिलाधिकारी सीपी सिंह और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में खजाना खोला गया। सील तोड़ने के बाद अंदर से पीतल के बर्तन, लकड़ी के चौखटनुमा मंदिर, पुराने संदूक और आभूषणों के खाली बॉक्स निकले। दिल्ली से आए सीए ने हर वस्तु की सूची तैयार की। हैरानी की बात यह रही कि जिस खजाने में कभी कीमती जवाहरात और सोने के जेवर रखे होने की बातें कही जाती थीं, वहां अब धूल, मलबा और टूटी हुई वस्तुएं ही नजर आईं।

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सांपों के निकलते ही अफरा-तफरी

जब तोषखाने का दरवाजा खोला गया तो गैस निकलने के बाद मलबा नजर आया। सफाई के दौरान अचानक दो सांप निकल आए, जिससे टीम को पीछे हटना पड़ा। वन विभाग की टीम ने तुरंत दोनों सांपों को पकड़ा और परिसर को सुरक्षित घोषित किया।

खजाना मिला खाली, सेवायतों ने उठाए गंभीर सवाल

कमेटी के सदस्य और सेवायत दिनेश गोस्वामी ने कहा, “खजाना तो खुल गया, लेकिन सवाल छोड़ गया। आखिर इतने सालों में खजाने का माल कहां गया? अगर बक्से खाली हैं तो कुंदे टूटे क्यों हैं?” उन्होंने इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और कहा है कि अगली कमेटी बैठक में इस विषय को प्रमुखता से उठाया जाएगा।

दो बार हो चुकी हैं चोरी की घटनाएं

सेवायतों के मुताबिक, साल 1926 और 1936 में मंदिर के तोषखाने में चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। 1971 में कोर्ट के आदेश पर इसे सील कर दिया गया था। अब सवाल यह है कि क्या कीमती वस्तुएं पहले ही निकाल ली गईं या बाद में गायब हुईं? बुजुर्गों के अनुसार, मंदिर में एक तहखाना भी था, जहां खजाना रखा जाता था। वहीं कहा जाता है कि ग्वालियर के राजा ने बिहारीजी को हाथी के दांत की छड़ी भी भेंट की थी।

सोशल मीडिया पर ‘आराध्य की माया’ बना चर्चा का विषय

श्री बांकेबिहारी मंदिर का खजाना खुलने के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा का दौर शुरू हो गया। किसी ने लिखा — “खजाना आखिर गया कहां?” तो किसी ने तंज कसते हुए कहा — “आराध्य की माया, तोषखाने ने ही सब खाया।” फेसबुक और एक्स पर दिनभर #BankeBihariTreasure ट्रेंड करता रहा। कुछ यूजर्स ने पुराने किस्से साझा किए, तो कुछ ने मंदिर प्रशासन पर पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया।

सेवायतों के बयान से बढ़ी बहस

  • अशोक गोस्वामी बोले, “बुजुर्गों से सुना था कि यहां खजाने में कीमती वस्तुएं हैं। अब खाली बक्से देखकर मन दुखी है।”
  • जॉनी गोस्वामी ने कहा, “कमेटी पारदर्शिता रखे, लाइव दिखाने में क्या दिक्कत थी?”
  • नितिन संवारिया का कहना है, “खजाने से जनता को कोई लाभ नहीं मिलने वाला, अब मंदिर व्यवस्था पर ध्यान दिया जाए।”
  • रजत गोस्वामी ने सवाल उठाया, “खजाना खोलने से पहले जेबें क्यों नहीं चेक की गईं?”
  • नीलम गोस्वामी ने कहा, “मंदिर की मर्यादा तोड़ी गई है, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की गई।”

अगली कार्रवाई क्या होगी?

प्रशासन ने बताया कि खजाने का एक कमरा और दो बॉक्स अभी भी खोले जाने बाकी हैं, जिन्हें रविवार को खोला जाएगा। हालांकि अब लोगों की उम्मीदें कम हो गई हैं। फिलहाल खजाना फिर से सील कर दिया गया है और उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है। धनतेरस के दिन खुले इस रहस्यमयी तोषखाने से न सोना निकला, न चांदी, बल्कि उठे अनगिनत सवाल। क्या 54 साल का ये रहस्य कभी सुलझेगा या श्री बांकेबिहारी मंदिर का खजाना हमेशा रहस्य बनकर ही रह जाएगा?

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