विवादित बयानः 'शोर-शराबे, नाच-गाने और गलत व्यवहार के साथ NEW YEAR का जश्न मनाना गलत'

Published : Dec 29, 2025, 02:07 PM IST
Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi. (Photo/ANI)

सार

मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने 1 जनवरी के जश्न को गैर-इस्लामी और फिजूलखर्ची बताया है। जवाब में मंत्री दयाशंकर सिंह ने इसे व्यक्तिगत पसंद कहा, कोई मजबूरी नहीं। मौलाना के अनुसार, इस्लामी नया साल मुहर्रम से शुरू होता है।

लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी की नए साल का जश्न न मनाने की सलाह वाली टिप्पणी ने एक बहस छेड़ दी है। इस पर राज्य मंत्री दयाशंकर सिंह ने जवाब दिया है कि 1 जनवरी को मनाना या न मनाना हर किसी की अपनी पसंद का मामला है, कोई मजबूरी नहीं। मौलाना रज़वी ने कहा कि 31 दिसंबर की रात को होने वाले जश्न इस्लामी शिक्षाओं के खिलाफ हैं। 31 दिसंबर की रात को, लोग आम तौर पर शोर-शराबे, नाच-गाने और हर तरह के गलत व्यवहार के साथ जश्न मनाते हैं। इस्लामी शरिया के मुताबिक, इसे फिजूलखर्ची माना जाता है और शरिया में ऐसी गतिविधियों की मनाही है।

उन्होंने कहा- जनवरी में नया साल मनाना धार्मिक कैलेंडर के हिसाब से नहीं है। इस तरह से नया साल मनाना जायज़ नहीं है क्योंकि इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, नया साल जनवरी में शुरू नहीं होता; यह मुहर्रम के महीने से शुरू होता है। इसी तरह, हिंदू संस्कृति में, नया साल चैत्र के महीने से शुरू होता है," उन्होंने जोर देकर कहा कि धर्मगुरु नाच-गाने और फिजूलखर्ची वाली पार्टियों पर "सख्ती से रोक" लगाएंगे। उत्तर प्रदेश के मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा- किसी पर भी नया साल मनाने की कोई बाध्यता नहीं है। नया साल अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। यह भारतीय नव वर्ष नहीं है। लेकिन हर किसी की अपनी राय है। वे इसे मनाते हैं या नहीं, यह उन पर निर्भर है। कोई मजबूरी नहीं है।


सिंह ने दिग्विजय सिंह के एक सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुए हालिया विवाद पर भी टिप्पणी की। आरएसएस-बीजेपी पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर उन्होंने कहा, "जमीन पर बैठा व्यक्ति भी दुनिया का सबसे लोकप्रिय व्यक्ति बन सकता है, और यह केवल बीजेपी में ही संभव है। यह दूसरी पार्टियों में नहीं हो सकता जहां भाई-भतीजावाद और वंशवाद की राजनीति अभी भी कायम है, जहां पूरी राजनीतिक शक्ति एक ही परिवार के भीतर सिमटी हुई है। बता दें, दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर शेयर की थी जिसमें वह बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पास फर्श पर बैठे थे, और इसे संगठनात्मक ताकत का प्रतिबिंब बताया था। बाद में दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि "संगठन" की प्रशंसा करने वाली उनकी टिप्पणियों का गलत अर्थ निकाला गया, और दोहराया कि वह आरएसएस और बीजेपी नेतृत्व के विरोधी बने हुए हैं।

PREV

उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Read more Articles on

Recommended Stories

CM योगी के साथ वायरल हो रही ये तस्वीर… कौन हैं ‘बिश्नोई’, जिन पर टिकी सबकी नजर?
Unnao Rape Case : जेल से बाहर नहीं आएंगे कुलदीप सेंगर, SC ने रोक के साथ मांगा जवाब