
लेखक- शशिकान्त जायसवाल: करीब आठ-नौ साल पहले उत्तर भारत के युवाओं के लिए सरकारी नौकरी पाना या स्वरोजगार शुरू करना सपने जैसा था। उच्च शिक्षा के बाद करियर बनाने के लिए न सही मार्गदर्शन था, न कोई मजबूत व्यवस्था। पिछली सरकारों ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, जिसका परिणाम युवाओं और परिवारों को भुगतना पड़ता था। रोजगार की तलाश में युवाओं का एक शहर से दूसरे शहर और फिर दूसरे प्रदेशों तक पलायन आम बात थी, जबकि गांवों में सिर्फ बुजुर्ग ही रह जाते थे।
उत्तर भारत में नौकरी और पलायन हमेशा बड़ा मुद्दा रहा है। लगभग एक दशक पहले की स्थिति किसी से छिपी नहीं है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में हालात तेजी से बदले हैं। सरकारी विभागों में निष्पक्ष और पारदर्शी भर्तियों तथा निवेश बढ़ने से युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने लगा है। इससे पलायन में भी कमी आई है।
पिछले नौ वर्षों में उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न विभागों में करीब नौ लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां दी हैं। कुछ भर्तियों में प्रक्रियागत देरी या विवाद जरूर हुए, लेकिन पारदर्शिता और निष्पक्षता पर कोई सवाल नहीं उठा।
स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन मुख्यमंत्री स्वरोजगार उद्यमी विकास अभियान (सीएम युवा) ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह योजना 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश दिवस पर शुरू हुई थी।
इसकी खासियत यह है कि यह देश की पहली ऐसी योजना है, जिसमें युवाओं को बिना गारंटी और बिना बैंक ब्याज के 5 लाख रुपये तक का लोन मिलता है। इसके साथ 10 प्रतिशत सरकारी अनुदान भी दिया जाता है। युवाओं को ट्रेनिंग से लेकर प्रोजेक्ट तैयार करने तक सरकारी सहायता मिल रही है।
सीएम युवा अभियान के तहत 24 जनवरी से 31 अक्टूबर तक सिर्फ 370 दिनों में एक लाख युवाओं को 5 लाख रुपये तक का लोन दिया जा चुका है। इस योजना से 41 सौ करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं स्थापित हुई हैं। एमएसएमई विभाग को चार लाख से अधिक आवेदन मिले, जिनमें से सवा तीन लाख से अधिक बैंक को भेजे गए। बैंकों ने 1.10 लाख से अधिक आवेदनों को मंजूरी दे दी है। लोन वितरण में 37% मैन्यूफैक्चरिंग और 63% सर्विस सेक्टर शामिल है।
यह योजना जातिगत सीमाओं को तोड़ते हुए सभी वर्गों के युवाओं को समान अवसर दे रही है। लाभार्थियों में शामिल हैं-
यानी सीएम युवा युवाओं को जॉब सीकर नहीं, जॉब क्रिएटर बना रहा है।
सीएम युवा अभियान के तहत अगले दस साल में 10 लाख युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य है। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में इस योजना के लिए 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो सरकार की गंभीरता दर्शाता है। साथ ही एमएसएमई विभाग अन्य कई स्वरोजगार योजनाएं भी संचालित कर रहा है।
मुख्यमंत्री योगी की एक और प्रमुख योजना ‘एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी)’ ने पारंपरिक उद्योगों को नई ऊर्जा दी है। इसकी लोकप्रियता के कारण केंद्र सरकार ने इसे पूरे देश में लागू किया है। ODOP के कारण मुरादाबाद का ब्रास, भदोही का कालीन, लखनऊ की चिकनकारी जैसे उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान बना रहे हैं।
इस योजना से प्रदेश के निर्यात में बड़ा उछाल आया है-
राजनीतिक दृष्टि से देखें तो सरकार सिर्फ घोषणाएं नहीं कर रही, बल्कि जमीन पर युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वास्तविक काम किया जा रहा है। विपक्ष द्वारा बेरोजगारी पर उठाए सवालों का जवाब सरकार रिकॉर्ड भर्तियों और नई योजनाओं के माध्यम से दे रही है। युवाओं को ट्रेनिंग से लेकर वित्तीय सहायता तक सभी सुविधाएं दी जा रही हैं ताकि वे स्वयं का उद्यम शुरू करें और दूसरों को भी नौकरी दें।
मुख्यमंत्री योगी की युवाओं के प्रति नीति पर कोई संदेह नहीं है। सीएम युवा अभियान, स्वरोजगार से जुड़ी सभी योजनाओं पर भारी पड़ रहा है। अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं और माना जा रहा है कि चुनाव तक सीएम युवा के लाभार्थी दो लाख से अधिक हो जाएंगे। यह योजना भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी हथियार बन सकती है।
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