प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के जिले प्रयागराज में अधिवक्ता उमेश पाल को मारने की साजिश काफी पहले से चल रही थी। वकील और उनके दो पुलिस गनर की सनसनीखेज हत्या की जांच से पता चला कि हमलावरों ने 24 फरवरी को सफल होने से पहले बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह पाल को खत्म करने के कम से कम तीन असफल प्रयास किए थे। पुलिस और एसटीएफ के सूत्रों का कहना है कि 21 फरवरी को एक बोली लगाई गई थी लेकिन भारी ट्रैफिक की वजह से इसे अमल में नहीं लाया जा सका।
हमलावर पाल के रास्ते और गतिविधियों पर रखते थे पैनी नजर
पुलिस और एसटीएफ टीम ने यह भी बताया कि हमलावरों ने पाल को निशाना बनाने से पहले उसके यात्रा मार्ग की विस्तृत जानकारी ली थी। इतना ही नहीं हमलावर पाल की दिनचर्या से भलीभांति परिचित थे और फरवरी के दूसरे सप्ताह से पाल के रास्ते और उसकी गतिविधियों पर पैनी नजर रखते थे। पुलिस का कहना यह भी है कि जांच और घटना के बाद के सीसीटीवी फुटेज के संकलन के बाद ऐसा लग रहा है कि हमलावरों का उमेश पाल को खत्म करने का एक और एक ही मकसद था। इसी कारणवश हमलावरों ने एक दूसरे की सहायता के लिए दो टीमों का गठन भी किया था और एक सुनियोजित तरीके से हत्या को अंजाम दिया था।
हमलावरों के ठिकानों का पुलिस ने लगा लिया है पता
उमेश पाल की हत्या के मामले में हो रही जांच में यह भी पता चला है कि पुलिस ने हमलावरों के उन ठिकानों का पता लगा लिया है, जहां उन्होंने गोलीबारी के बाद घंटों या एक दिन शरण भी ली थी। पुलिस ने हमलावरों के भागने के रास्ते के वीडियो फुटेज भी इकत्रित किए हैं। वहीं फरार अरमान, असद, गुलाम, गुड्डू मुस्लिम और साबिर के ठिकाने पर नजर रख रही है। इन पांचों फरार आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने ढाई-ढाई लाख रुपए के नकद इनाम की घोषणा भी की है। इसके अलावा पुलिस ने गोलीबारी में शामिल दो अपराधियों अरबाज और विजय चौधरी उर्फ उस्मान को मार गिराया, जबकि सदाकत खान को साजिश रचने में शामिल होने के आरोप में एसटीएफ ने गिरफ्तार किया।
प्लानिंग के मुताबिक 14 फरवरी को ही हो गई होती पाल की हत्या
सूत्रों के अनुसार दावा है कि पुलिस ने सभी पांचों भगोड़े लोगों के बारे में नए डोजियर तैयार किए हैं और उन्हें पकड़ने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में सिलसिलेवार छापेमारी की जा रही है। एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भगोड़ों हत्यारों पर मिनट इनपुट संकलित किए हैं और टीमें इस दिशा में काम कर रही हैं। बता दें कि उमेश पाल को 24 फरवरी से पहले भी तीन बार मारने की कोशिश की गई थी लेकिन अलग-अलग वजहों से शूटरों को तीनों बार की प्लानिंग कैंसिल करनी पड़ी थी। अगर शूटरों की प्लानिंग के अनुसार चीजें होतीं तो उमेश पाल की हत्या 14 फरवरी को ही हो गई होती।
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