
लखनऊ: रामचरितमानस को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य फंसते हुए नजर आ रहे हैं। उनके खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर में हजरतगंज पुलिस के द्वारा चार्जशीट दाखिल की गई है। जिसके बाद यह माना जा रहा है कि आने वाले समय में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
रामचरितमानस के कुछ हिस्सों को हटाने या प्रतिबंध लाने की थी मांग
स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा रामचरितमानस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी और इसके कुछ हिस्सों को हटाने या प्रतिबंध लगाने की अपील भी सरकार से की गई थी। उनके अनुसार रामचरितमानस के द्वारा ही शूद्रों को नीची जाति का दर्जा दिया गया। उन्होंने कहा कि तुलसीदास के द्वारा इस ग्रंथ को अपनी प्रसन्नता के लिए लिखा गया था। स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया था। उन पर आईपीसी की धारा 295ए, 298, 504, 153ए के तहत केस दर्ज किया गया था। उन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, जानबूझकर नफरत फैलाने, शांतिभंग जैसे आरोपों में केस दर्ज किया गया था। जिसके बाद अब आने वाले समय में उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी।
बिहार के शिक्षामंत्री के बयान के बाद शुरू हुआ था विवाद
ज्ञात हो कि स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से दिए गए बयान के बाद देशभर में इसको लेकर बहस छिड़ गई थी। दरअसल राजद नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के द्वारा जनवरी में रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया गया था। उसी बयान के बाद देशभर में बहस छिड़ी थी और उसी के समर्थन में स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा विवादित बयान दिया गया था। आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज किया गया है उनमें 7 साल की सजा तक का प्रावधान है। हालांकि यूपी पुलिस के द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में अभी तक स्वामी प्रसाद मौर्य की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस के द्वारा सिर्फ उन्हें नोटिस भेजा गया है।
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