
शनिवार देर शाम सोनभद्र के ओबरा क्षेत्र की खामोशी तब टूट गई, जब बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा अचानक दरक पड़ा। कुछ ही पलों में वहां मौजूद मजदूर मलबे में समा गए और चीख-पुकार की आवाजें अंधेरे में गुम हो गईं। यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि खनन क्षेत्र में वर्षों से जारी लापरवाही और भ्रष्टाचार का बेरहम सबूत बनकर सामने आया है।
घटना के तुरंत बाद प्रशासन हरकत में आया और रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा। जानकारी के अनुसार, मजदूर करीब 300 फीट नीचे मलबे में फंसे हैं, जिसकी वजह से बचाव कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। भारी चट्टानें, गहराई और अंधेरा—ये सभी स्थितियां राहत कार्य को और कठिन बना रही हैं।मौके पर SDRF, NDRF, पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें लगातार मलबा हटाकर मजदूरों तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं।
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हादसे की गंभीरता को देखते हुए विंध्याचल मंडल के कमिश्नर राजेश प्रकाश, आईजी आरपी सिंह, NDRF के डीआईजी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर डटे हुए हैं। ओबरा थाना क्षेत्र के कृष्णा माइनिंग वर्क्स में हुए इस हादसे पर खनन मालिक समेत तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह स्पष्ट है कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी इस दुर्घटना की बड़ी वजह रही है।
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि जिस स्थान पर हादसा हुआ, वहां सुरक्षा नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा था।
स्थानीय लोगों ने कई बार चेतावनी दी थी कि यहां बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन न खनन कंपनी ने और न ही प्रशासन ने इस ओर गंभीरता दिखाई।
सोनभद्र देश के सबसे बड़े खनन जिलों में से एक है। यहां:
आरोप है कि अवैध खनन माफिया नियमों की धज्जियां उड़ाता है और अधिकारी कार्रवाई से परहेज करते हैं।
फिलहाल SDRF और NDRF की टीमों का संयुक्त बचाव अभियान लगातार जारी है। प्रशासन की प्राथमिकता मलबे में दबे मजदूरों को सुरक्षित निकालने की है। घटना स्थल पर स्थानीय लोग भी किसी उम्मीद की किरण के इंतजार में डटे हुए हैं।
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