सुप्रीम कोर्ट ने बैंके बिहारी मंदिर ट्रस्ट समिति पर लगाई रोक, नया अध्यादेश थमा दिया

Published : Aug 08, 2025, 05:15 PM IST
Supreme Court  Of india

सार

Banke Bihari Temple Trust Ordinance : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के बैंके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 के तहत गठित समिति के संचालन को निलंबित कर दिया है। उच्च न्यायालय से संवैधानिक वैधता पर सुनवाई होगी। मंदिर प्रबंधन के लिए नई समिति बनेगी।

Supreme Court On Banke Bihari Temple: श्री बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 के तहत गठित समिति के कार्य को निलंबित करने का आदेश दिया है। इस मामले को उच्च न्यायालय के समक्ष संवैधानिक वैधता की चुनौती के लिए भेजा जाएगा। उच्च न्यायालय के निर्णय तक इस समिति का संचालन रुका रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बीच मंदिर के सुचारु प्रशासन के लिए एक नई समिति गठित करने की घोषणा की है, जिसका नेतृत्व पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश करेंगे। इस समिति में कुछ सरकारी अधिकारी और पारंपरिक देखभालकर्ता गोस्वामियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

सरकारी योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट ने पहले उत्तर प्रदेश सरकार की ‘तेजी’ भरी कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई थी, जो मंदिर प्रबंधन को अपने नियंत्रण में लेने के लिए श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 लेकर आई। कोर्ट ने कहा कि यह मामला दो निजी पक्षों के बीच विवाद है, जिसे सरकार ने गलत तरीके से अपने अधीन कर लिया।

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मंदिर के परंपरागत देखभालकर्ता देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने याचिका दायर कर अदालत से यह आदेश संशोधित करने का अनुरोध किया था, जिसमें सरकार को मंदिर के फंड का उपयोग पांच एकड़ भूमि खरीदने के लिए अनुमति मिली थी। गोस्वामी का कहना है कि वे मंदिर के संस्थापक स्वामी हरिदास गोस्वामी के वंशज हैं और पिछले 500 वर्षों से मंदिर का प्रबंधन परिवार द्वारा ही किया जा रहा है।

मंदिर पुनर्विकास पर चिंता व्यक्त की गई

याचिका में यह भी कहा गया कि बिना परंपरागत देखभालकर्ताओं की भागीदारी के मंदिर के पुनर्विकास की कोई योजना व्यावहारिक नहीं होगी और इससे प्रशासनिक अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है। 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिर के ट्रस्ट फंड का उपयोग करने की अनुमति दी थी, ताकि मंदिर कॉरिडोर के विकास के लिए जमीन खरीदी जा सके। इस निर्णय में अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को संशोधित किया था, जिसमें मंदिर के फंड से जमीन खरीदने पर रोक लगी थी।

मंदिर प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने ब्रज क्षेत्र के मंदिरों में कुप्रबंधन पर भी चिंता जताई है और कहा कि मंदिरों का प्रभावी प्रबंधन केवल कानूनी आवश्यकता नहीं, बल्कि सार्वजनिक और आध्यात्मिक कल्याण का मामला है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह आदेश कल तक जारी कर देगी और उच्च न्यायालय को इस मामले की सुनवाई का अधिकार देगी। तब तक मंदिर के प्रबंधन के लिए नई समिति जिम्मेदारी संभालेगी।

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