UP E-Challan Settlement: लंबित ई-चालानों से मिलेगा छुटकारा, जानिए कैसे?

Published : Sep 16, 2025, 04:32 PM IST
up court pending e challan abatement 2017 2021 settlement

सार

UP E-Challan Settlement: उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने 2017–2021 के गैर-कर ई-चालानों को समाप्त करने का ऐलान किया। कोर्ट-पेंडिंग और ऑफिस-पेंडिंग चालान बंद होंगे। इससे फिटनेस, परमिट, HSRP जैसी बाधाएं स्वतः हटेंगी।

उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने जनता को बड़ी राहत देने वाला निर्णय लिया है। 2017 से 2021 तक बने लाखों गैर-कर ई-चालानों को समाप्त करने का फैसला किया गया है। अब वाहन मालिकों को फिटनेस, परमिट, वाहन ट्रांसफर और एचएसआरपी जैसी सेवाओं में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलेगा।

2017 से 2021 तक के गैर-कर ई-चालान होंगे समाप्त

विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन चालानों की समय-सीमा पूरी हो चुकी है, उन्हें पोर्टल पर दो श्रेणियों में दिखाया जाएगा:

  • Disposed - Abated: यदि मामला कोर्ट में लंबित था।
  • Closed - Time-Bar (Non-Tax): यदि कार्यालय में लंबित था और समय निकल चुका है।

टैक्स से जुड़े चालान इस योजना के दायरे से बाहर रहेंगे।

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30 दिनों में पूरी होगी प्रक्रिया, पोर्टल पर दिखेगा अपडेट

परिवहन विभाग ने कहा है कि यह पूरी प्रक्रिया 30 दिनों के भीतर पूरी कर दी जाएगी। इसके बाद वाहन स्वामी पोर्टल पर जाकर अपने चालान की स्थिति देख सकेंगे। न तो किसी को रिफंड मिलेगा और न ही पुराने चालान दोबारा खोले जाएंगे।

30 लाख से ज्यादा चालानों पर पड़ेगा असर

  • 2017 से 2021 के बीच 30.52 लाख ई-चालान बनाए गए थे।
  • इनमें से 17.59 लाख का निस्तारण पहले ही हो चुका है।
  • अब शेष 12.93 लाख चालान (10.84 लाख कोर्ट में और 1.29 लाख ऑफिस लेवल पर) डिजिटल तरीके से निपटाए जाएंगे।

फ्रंट-एंड पर सभी अवरोध हट जाएंगे जबकि बैक-एंड पर पूरा रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा।

जनता को क्या करना है?

  • एक महीने बाद ई-चालान/परिवहन पोर्टल पर जाकर स्थिति चेक करें।
  • कोर्ट में लंबित मामलों पर Disposed - Abated लिखा मिलेगा।
  • ऑफिस लेवल पर पेंडिंग मामलों पर Closed - Time-Bar (Non-Tax) दर्ज होगा।
  • टैक्स से जुड़े चालान अलग रहेंगे और केवल टैक्स कानून के तहत ही निपटाए जाएंगे।
  • किसी भी दिक्कत पर हेल्पलाइन 149 या नजदीकी RTO/ARTO से संपर्क करें।

क्यों लिया गया यह निर्णय?

यह फैसला केवल उन्हीं मामलों पर लागू होगा जो 31 दिसंबर 2021 तक लंबित थे। टैक्स, गंभीर अपराध, दुर्घटना या IPC से जुड़े मामले इस राहत के दायरे से बाहर रहेंगे। विभाग का मानना है कि यह कदम जनता को अनावश्यक परेशानियों से राहत दिलाने और सेवाओं को पारदर्शी बनाने के लिए ज़रूरी था।

30 दिनों की समय-सीमा और सख्त निगरानी

एनआईसी पोर्टल में बदलाव कर रहा है ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित रहे। हर हफ्ते एक डैशबोर्ड पर प्रगति रिपोर्ट साझा की जाएगी। टैक्स से जुड़ी देनदारियां और कोर्ट के आदेश यथावत रहेंगे।

परिवहन आयुक्त का बयान

परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा: “यह निर्णय कानूनन सही, जन-हितैषी और पारदर्शी प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमारा लक्ष्य है कि नागरिकों को सुगम और सम्मानजनक सेवाएं समय पर उपलब्ध हों। सभी अधिकारी और कर्मचारी तय समय-सीमा में 100 प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करें।”

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