आप यकीन नहीं करेंगे! UP में गोबर से होगा अब दीवालों पर पेंट!

Published : May 05, 2025, 10:39 AM IST
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सार

Cow dung paint: यूपी के सरकारी भवनों में अब गोबर से बने पेंट का होगा इस्तेमाल। गौशालाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, ग्रामीणों को मिलेगा रोज़गार। पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक विकास को मिलेगा बढ़ावा।

Cow dung paint initiative Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के गांवों की धरती अब सिर्फ अनाज नहीं उगाएगी, बल्कि नवाचार की नई मिसाल भी पेश करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के ग्रामीण विकास को एक नई दिशा देते हुए गोबर से बने प्राकृतिक पेंट को सरकारी भवनों में अनिवार्य करने का ऐलान किया है। यह फैसला प्रदेश के निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने की एक ठोस और दूरदर्शी रणनीति के तहत लिया गया है। इस योजना का उद्देश्य सिर्फ पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं, बल्कि आर्थिक स्वावलंबन और ग्रामीण रोजगार को भी बढ़ावा देना है।

सरकारी दीवारों पर अब गोबर से सजेगा गौरव का रंग

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिया कि अब राज्य के पंचायत भवनों, सरकारी विद्यालयों, ब्लॉक कार्यालयों और अन्य शासकीय परिसरों की दीवारों पर पारंपरिक पेंट की जगह गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का उपयोग किया जाएगा। यह सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता होगी, जिससे दो प्रमुख फायदे होंगे—एक, गोबर जैसे परंपरागत संसाधन को मूल्यवर्धित उत्पाद में बदला जा सकेगा, और दूसरा, इससे प्रदेश की गौशालाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी।

एक रंग से कई बदलाव: पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और रोजगार में सुधार

गोबर पेंट को सिर्फ एक दीवार रंगने का साधन समझना इसकी महत्ता को कम आंकना होगा। यह पेंट जैविक, सस्ता, और पूरी तरह से प्राकृतिक है, जिसमें किसी भी प्रकार के रसायन का इस्तेमाल नहीं होता। इसकी खास बात यह है कि इसमें वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOC) नगण्य होते हैं, जो वातावरण के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। साथ ही यह पेंट थर्मल इंसुलेशन प्रदान करता है यानी गर्मियों में दीवारें ठंडी रहती हैं और इससे कीटनाशक भी दूर रहते हैं। यह पहल खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा तैयार पेंट को एक राज्यव्यापी पहचान देने की दिशा में बड़ा कदम है।

हर जिले में लगेगा गोबर पेंट प्लांट, बड़े स्तर पर होगा उत्पादन

योगी सरकार का इरादा इस योजना को छोटे स्तर पर सीमित रखने का नहीं है। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देशित किया है कि राज्य भर में गोबर से पेंट बनाने वाले संयंत्रों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी की जाए। इन संयंत्रों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे उत्पादन क्षमता भी बढ़े और ग्रामीण युवाओं को स्थानीय स्तर पर काम के अवसर भी मिलें।

गौशालाओं को मिलेगा नया जीवन, अब बनेगा गोबर भी ‘सोना’

प्रदेश की गौशालाएं, जो अब तक सिर्फ आश्रय स्थल थीं, अब उत्पादन और आत्मनिर्भरता के केंद्र बनेंगी। इन गौशालाओं के पास पहले से बड़ी मात्रा में गोबर उपलब्ध होता है, जिसे अब मूल्यवर्धित उत्पाद में बदलने का मौका मिलेगा। इससे न सिर्फ इन केंद्रों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि पशुओं के भरण-पोषण और रख-रखाव के लिए भी स्थायी व्यवस्था बन पाएगी।

महिलाओं के लिए खुलेगा नया रोज़गार द्वार

इस योजना का एक बड़ा सामाजिक पहलू यह है कि इसका सीधा लाभ ग्रामीण महिलाओं को भी मिलेगा। मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिए हैं कि महिला स्वयं सहायता समूहों को इस अभियान से जोड़ा जाए। महिलाएं गोबर पेंट के निर्माण, पैकेजिंग और वितरण की प्रक्रिया में भाग लेंगी, जिससे उन्हें घर के पास ही रोजगार मिलेगा और आत्मनिर्भरता की राह खुलेगी।

शुरुआत पंचायत भवनों से, बदलाव हर सरकारी इमारत तक पहुंचेगा

इस योजना की शुरुआत सबसे पहले राज्य के पंचायत भवनों, ग्रामीण सचिवालयों और बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत आने वाले विद्यालयों से की जाएगी। ये वे भवन हैं जो ग्रामीण जनता के सीधे संपर्क में होते हैं और जहां इस पहल का संदेश सबसे प्रभावी तरीके से पहुंचेगा। बाद में, धीरे-धीरे इसे अन्य सभी सरकारी भवनों और शहरी क्षेत्रों तक भी विस्तार दिया जाएगा।

हर जिले में पायलट प्रोजेक्ट, स्थानीय निर्माण पर जोर

पशुपालन विभाग की योजना है कि प्रत्येक जिले में कम से कम एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाए। इस परियोजना के तहत स्थानीय स्तर पर ही गोबर पेंट तैयार किया जाएगा और उसका प्रयोग उस जिले के सरकारी परिसरों में किया जाएगा। इससे न केवल उत्पादन और वितरण में आसानी होगी, बल्कि हर जिले की आत्मनिर्भरता का भी रास्ता खुलेगा।

गांव, गौ और गवर्नेंस का अभिनव संगम

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक के दौरान स्पष्ट किया कि पशुपालन और दुग्ध विकास विभाग प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार है। यह क्षेत्र केवल दुग्ध उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आजीविका, पोषण सुरक्षा और महिला सशक्तीकरण जैसे कई सामाजिक-आर्थिक पहलुओं से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अधिकारियों से नवाचार, तकनीक और निवेश के सहारे इस क्षेत्र में नई संभावनाएं तलाशने को कहा, ताकि ग्रामीण जीवन में बुनियादी बदलाव लाया जा सके।

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