
लखनऊ में शनिवार को आयोजित एक विशेष कार्यशाला ने उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा को नई दिशा देने की कोशिश की। योजना भवन में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था—जिला स्तर पर आर्थिक आंकड़ों के प्रभावी उपयोग को बढ़ाना, ताकि नीतियां न सिर्फ कागज़ पर नहीं बल्कि ज़मीन पर भी असर दिखा सकें। बदलते समय में डेटा ही विकास का पथप्रदर्शक है, और इसी संदेश को मजबूत करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख सचिव, नियोजन आलोक कुमार ने कहा कि जिला स्तर पर आर्थिक आंकड़ों का सटीक संग्रह और उपयोग विकास की गति तय करता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे नवीन तकनीकों और सुगठित सांख्यिकीय प्रक्रियाओं को अपनाते हुए ओ.टी.डी. सेल की बैठकों में तथ्यपरक समीक्षा सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि ओ.टी.डी. मिशन को आर्थिक विकास मिशन के रूप में देखते हुए आवश्यक सुधार और सकारात्मक हस्तक्षेप पर जोर दिया जाना चाहिए।
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कार्यशाला में बताया गया कि जनपद स्तर पर तैयार हो रहे ‘जिला आर्थिक प्रतिवेदन’ न सिर्फ विकास की दिशा तय करेंगे, बल्कि नीतियों को और अधिक समावेशी बनाएंगे। अधिकारियों को जिला घरेलू उत्पाद (DDP), ओ.टी.डी. सेल, डी.डी.पी. टूलकिट और वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण जैसे प्रमुख आँकड़ों की उपयोगिता से भी अवगत कराया गया। प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने कहा कि जनपदों के सटीक आंकड़े प्रदेश और आगे चलकर देश के विकास में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
सचिव, नियोजन मासूम अली सरवर ने अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक सजग रहने तथा प्राथमिकता वाली योजनाओं को डेटा आधारित ढंग से लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाएं अधिकारियों को प्रासंगिक और सक्षम बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
सेवानिवृत्त महानिदेशक, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम मंत्रालय, आशीष कुमार ने उत्तर प्रदेश में डिजिटल पद्धति से आंकड़ों के संकलन की पहल को सराहा। उन्होंने कहा कि यूपी कई राज्यों के लिए डेटा प्रबंधन का प्रेरणास्रोत बन गया है। उन्होंने पर्यवेक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आंकड़ों की गुणवत्ता ही नीतियों की गुणवत्ता तय करती है।
कार्यशाला में कई तकनीकी विषयों पर विशेषज्ञों ने विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिए, जिनमें शामिल थे—
वरिष्ठ अधिकारियों और सांख्यिकीय विशेषज्ञों ने इन विषयों पर अपने विचार साझा किए और जनपद-स्तरीय विकास को डेटा-केंद्रित बनाने की दिशा में आगे की रणनीतियों पर चर्चा की।
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