
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य सिस्टम की पहचान कभी लंबी कतारों, सीमित संसाधनों और ग्रामीण इलाकों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जुड़ी थी। लेकिन 2017 के बाद से तस्वीर तेजी से बदली है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य सेवाओं को ‘बेसिक सुविधा’ नहीं बल्कि ‘मूल अधिकार’ मानते हुए व्यापक सुधारों की बुनियाद डाली है। गांवों तक पहुंचती टेलीमेडिसिन सुविधा, करोड़ों गरीबों के लिए मुफ्त इलाज और मेडिकल कॉलेजों का तेजी से विस्तार, इन सबने मिलकर प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को नई मजबूती दी है।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के अनुसार उत्तर प्रदेश में अब तक 4.25 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी हो चुके हैं। यह प्रदेश की एक-चौथाई से ज्यादा आबादी को 5 लाख रुपये तक का फ्री हेल्थ कवर देता है। वर्ष 2023-24 में कैंसर, किडनी और हृदय रोग जैसे गंभीर मामलों पर 700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई, जिससे लाखों गरीब परिवारों को आर्थिक राहत मिली।
बरेली मंडल ने इस योजना में प्रदेश में नंबर वन स्थान हासिल किया है। यहां नवंबर 2025 तक जारी 900 करोड़ रुपये के क्लेम में से 90% भुगतानहो चुका है। अब तक 4.53 लाख से अधिक क्लेम सेटल किए जा चुके हैं और 12 लाख से ज्यादा गोल्डन कार्ड बन चुके हैं, जिससे बरेली ‘आयुष्मान का सुपर मॉडल’ बन गया है।
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सीएम योगी की महत्वाकांक्षी पहल वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज के तहत प्रदेश में 80 से अधिक सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजस्थापित हैं। 3,500 से अधिक आईसीयू बेड और 2,000 से ज्यादा वेंटिलेटर उपलब्ध होने से गंभीर मरीजों को अब अपने शहर में ही सुपर-स्पेशियलिटी इलाज मिल रहा है।
पेंटावैलेंट वैक्सीन का कवरेज, जो 2017 में 50% से कम था, बढ़कर 92% से अधिक हो गया है। एनएचएम के आंकड़ों से पता चलता है कि प्रदेश में हर महीने 20,000 से ज्यादा टीकाकरण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। मिशन इंद्रधनुष के तहत 10 लाख से अधिक छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण पूरा किया जा चुका है। यह बदलाव विशेष रूप से वंचित वर्ग में स्वास्थ्य सुरक्षा बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा है।
आगरा जिला अस्पताल में पीपीपी मॉडल पर संचालित निःशुल्क हीमोडायलिसिस यूनिट जनवरी से अक्टूबर 2025 तक 726 मरीजों को 8,712 सेशन दे चुकी है। 10 अत्याधुनिक मशीनों से लैस यह यूनिट गरीब गुर्दा रोगियों के लिए राहत का बड़ा स्रोत बनी है। मरीजों को अब निजी अस्पतालों की भारी फीस से मुक्ति मिली है।
प्रदेश में 28,000 से अधिक एचडब्ल्यूसी पर ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन उपलब्ध है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को बिना यात्रा किए विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श मिल रहा है। कोविड काल में शुरू हुई यह सुविधा अब ग्रामीण स्वास्थ्य प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश की स्वास्थ्य नीति तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित रही—
इन रणनीतियों के कारण उत्तर प्रदेश न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में आगे बढ़ा है, बल्कि गरीब और वंचित तबकों के लिए यह परिवर्तन जीवन बदलने वाला साबित हुआ है।
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