
UP New Industrial Policy: क्या उत्तर प्रदेश अगले कुछ सालों में देश का औद्योगिक हब बन सकता है? योगी सरकार की नई “सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम औद्योगिक आस्थान प्रबंधन नीति” इसी दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। इस नीति के जरिये 2027 तक प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है।
उत्तर प्रदेश पहले से ही जनसंख्या में देश का सबसे बड़ा और अर्थव्यवस्था में दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। लेकिन सरकार चाहती है कि औद्योगिक विकास का दायरा चारों दिशाओं में फैले और निवेशकों को ऐसी सुविधाएं मिलें जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरें।
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नई नीति में औद्योगिक भूखंडों का आवंटन लीज या किराए पर नीलामी और ई-ऑक्शन से होगा।
प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में रिजर्व प्राइस इस तरह तय हुई है:
हर साल 1 अप्रैल को इसमें 5% की वृद्धि होगी।
ई-ऑक्शन में सफल बोलीदाता को 10% अर्नेस्ट मनी देनी होगी। बाकी रकम:
तुरंत भुगतान पर 2% की छूट भी मिलेगी, जबकि देरी पर ब्याज देना होगा।
इस नीति में 10% भूखंड/शेड एससी-एसटी उद्यमियों के लिए आरक्षित होंगे। यदि योग्य आवेदक न मिले, तो यह भूखंड अन्य वर्गों को आवंटित किए जाएंगे।
सरकार ने औद्योगिक आस्थानों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की योजना बनाई है, जिनमें शामिल हैं:
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