
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के श्रमिकों को अब नए श्रमिक कानूनों के तहत सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम वेतन और कई नए अधिकार सुनिश्चित होंगे। पुराने 29 श्रम कानूनों को हटाकर अब चार नए लेबर कोड लागू किए गए हैं, जिनमें आधुनिक कार्यशैली, वेतन व्यवस्था, स्वास्थ्य जांच और गिग वर्कर्स के लिए प्रगतिशील प्रावधान शामिल हैं। इन नए कानूनों से हर श्रमिक को न्यूनतम वेतन, नियुक्ति पत्र, समान वेतन, सोशल सिक्योरिटी, ओवरटाइम पर डबल वेतन, फिक्स-टर्म ग्रेच्युटी और जोखिम वाले क्षेत्रों में 100% हेल्थ सिक्योरिटी की गारंटी मिलेगी। महिलाओं को सुरक्षित माहौल में नाइट शिफ्ट में काम करने का अधिकार भी दिया गया है।
देश में कई श्रम कानून 1930–1950 के बीच बनाए गए थे, जिनमें गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और प्रवासी मजदूरों का उल्लेख नहीं था। नए लेबर कोड इन आधुनिक कार्यशैलियों को कानूनी सुरक्षा देते हैं। यूपी में नए कानून रोजगार व्यवस्था और इंडस्ट्रियल सिस्टम को आधुनिक स्वरूप देंगे। अब अधिक श्रमिक सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आएंगे, जो पहले संभव नहीं था।
नए कानूनी प्रावधानों के तहत उत्तर प्रदेश की महिलाएं सुरक्षा और सहमति के साथ नाइट शिफ्ट में काम कर सकती हैं। इसके साथ ही महिलाओं को समान वेतन और सुरक्षित कार्यस्थल की गारंटी दी गई है। ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को भी समान अधिकार और कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
अब नियोक्ताओं को हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य है। पूरे प्रदेश में न्यूनतम वेतन लागू हो चुका है और समय पर वेतन देना कानूनी जिम्मेदारी होगी। 40 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों की साल में एक बार मुफ्त स्वास्थ्य जांच होगी। खनन, केमिकल, कंस्ट्रक्शन जैसे जोखिमभरे क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को पूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा मिलेगी।
पहले पांच साल नौकरी के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी अब सिर्फ एक साल की फिक्स-टर्म नौकरी के बाद मिलेगी। यह प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए बड़ा लाभ है। साथ ही, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार कानूनी मान्यता दी गई है। ओला-उबर ड्राइवर, जोमैटो-स्विगी डिलीवरी पार्टनर और अन्य ऐप-बेस्ड वर्कर्स को अब सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेगा। एग्रीगेटर्स को अपने टर्नओवर का 1–2% सामाजिक सुरक्षा फंड में देना होगा। UAN से जुड़े रहने पर राज्य बदलने पर भी लाभ जारी रहेगा।
अब कर्मचारियों को ओवरटाइम करने पर डबल रेट से भुगतान मिलेगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को भी न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और काम की गारंटी मिलेगी। प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के मजदूर भी अब सुरक्षा ढांचे में शामिल होंगे। सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न सिस्टम से कंपनियों को लालफीताशाही से राहत मिलेगी और अनुपालन प्रक्रिया आसान होगी। नए लेबर कोड “विकसित उत्तर प्रदेश @2047” के लक्ष्य को प्राप्त करने में मजबूत आधार तैयार करेंगे और राज्य में Ease of Doing Business को गति मिलेगी।
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