बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी को 6 महीने की सजा, जानिए क्या है पूरा मामला

Published : Feb 03, 2024, 09:07 AM ISTUpdated : Feb 03, 2024, 09:23 AM IST
UP BJP MP Rita Bahuguna Joshi

सार

रीता बहुगुणा जोशी बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टी में बड़े पदों पर रही हैं। वो वर्तमान में प्रयागराज से भाजपा सांसद हैं। वो 2016 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई थीं। रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं

लखनऊ (उत्तर प्रदेश). भारतीय जनता पार्टी की सांसद रीता बहुगुणा जोशी के लिए बुरी खबर है। लखनऊ एक अदालत ने उन्हें 6 महीने की कैद की सजा सुनाई और 1100 रुपये का जुर्माना लगाया है। दरअसल, यह सजा उन्हें 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में सुनाई गई है।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने दिया फैसला

दरअसल, शुक्रवार को लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने सांसद रीता बहुगुणा को लेकर यह फैसला सुनाया है। बता दें कि यह मामला उस वक्त है, जब रीता बहुगुणा कांगेस पार्टी का हिस्सा थीं। उन्हें अब 12 साल बाद आचार संहिता का उल्लंघन कर बैठक करने का दोषी ठहराया गया है। हालांकि तुरंत ही रीता बहुगुणा जोशी को 25-25 हजार के दो मुचलके पर जमानत मिल गई है।

कौन हैं सांसद रीता बहुगुणा जोशी

बता दें कि रीता बहुगुणा जोशी बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टी में बड़े पदों पर रही हैं। वो वर्तमान में प्रयागराज से भाजपा सांसद हैं। वो 2016 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई थीं। रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं, वह साल 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रही हैं। रीता बहुगुणा यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी हैं।

जानिए क्या है पूरा मामला, जिसमें हुई रीता बहुगुणा को सजा

यह पूरा मामला 17 फरवरी 2012 की शाम करीब 6.50 बजे का है। जब रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ की कैंट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रचार करने के लिए पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए कृष्णा नगर के बजरंग नगर क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया था। जबकि चुनाव आयोग के नियम के अनुसार प्रचार का समय खत्म हो गया था। इसके बाद भी उन्होंने एक सभा को संबोंधित किया था। हालांकि वह यहां से चुनाव जीत गई थीं। लेकिन विपक्षी पार्टी के नेताओं ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करा दिया था। जिसको लेकर यह फैसला दिया गया है।

 

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