
यूपी की राजनीति में 2027 विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण एक बार फिर केंद्र में आ गया है। समाजवादी पार्टी ने सरकारी नौकरियों में OBC, SC और ST वर्ग के साथ कथित अन्याय को बड़ा मुद्दा बनाते हुए योगी सरकार पर सीधा हमला बोला है। सपा का आरोप है कि भर्तियों में आरक्षण नियमों को जानबूझकर कमजोर किया गया और PDA समाज का हक छीना गया।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा को आरक्षण और PDA विरोधी करार दिया है। उनका दावा है कि पिछले पांच वर्षों में यूपी की सरकारी भर्तियों में सुनियोजित तरीके से आरक्षित वर्गों को नुकसान पहुंचाया गया। अखिलेश ने कहा कि NFS (नॉट फाउंड सूटेबल) जैसे अवैध फॉर्मूले का इस्तेमाल कर योग्य उम्मीदवारों को बाहर किया गया और जब गड़बड़ियां सामने आईं तो सरकार ने केवल दिखावटी कमेटियां बनाकर मामले को दबाने की कोशिश की।
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अखिलेश यादव ने अपने X पोस्ट के साथ ‘उत्तर प्रदेश में आरक्षण की लूट’ शीर्षक वाला एक पोस्टर साझा किया है। इसमें चार बड़ी भर्तियों का हवाला देते हुए 30 हजार से ज्यादा PDA पदों की लूट का दावा किया गया है।
लेखपाल भर्ती में आरक्षण गड़बड़ी के आरोपों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व परिषद को कड़ी चेतावनी दी। सीएम के निर्देश पर जिलावार रिक्तियों की दोबारा समीक्षा शुरू की गई है। योगी ने स्पष्ट किया है कि वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल दोनों तरह के आरक्षण नियमों का शत-प्रतिशत पालन अनिवार्य है और किसी भी स्तर पर लापरवाही मिलने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
जहां सपा नेता अदालत और सड़कों पर संघर्ष का ऐलान कर चुके हैं, वहीं सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है। वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि योगी सरकार में आरक्षण का पालन पहले भी हुआ है और आगे भी होगा। उन्होंने दावा किया कि मंत्रिमंडल में 19 OBC मंत्री हैं और सरकार 27 फीसदी से अधिक ओबीसी आरक्षण दे रही है। खन्ना ने सपा पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया।
69000 सहायक शिक्षक भर्ती का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पर भी OBC आरक्षण के पालन को लेकर सवाल उठाए गए हैं। सपा के कई विधायक, जिनमें लालजी वर्मा, संग्राम यादव और मनोज सिंह काका शामिल हैं, लगातार विधानसभा में इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
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