
लखनऊ। उत्तर प्रदेश अब बिजली बचत और हरित ऊर्जा के एक नए अध्याय में प्रवेश कर चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सौर ऊर्जा नीति ने राज्य को ऐसी दिशा दी है जहां विकास और ऊर्जा आत्मनिर्भरता साथ-साथ बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। सूरज की किरणों से मिलने वाली शक्ति आज घरों से लेकर बड़े उद्योगों तक, एक नई ऊर्जा क्रांति का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
प्रदेश की कुल सौर ऊर्जा क्षमता 1003.64 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। इस उपलब्धि के चलते
इन सभी पहलुओं ने राज्य की ऊर्जा स्थिति को अधिक मजबूत बना दिया है। सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक सभी प्रमुख शहरों को सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाए।
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सौर ऊर्जा ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी नई जान फूंक दी है। जहां पहले बिजली कटौती छोटे व्यवसायों को प्रभावित करती थी, वहीं अब
योगी सरकार की इस सौर नीति ने रोजगार के नए अवसर भी पैदा किए हैं। तकनीशियन, इंस्टॉलर और सर्विस स्टाफ जैसे क्षेत्रों में 50 हजार युवा प्रत्यक्ष रूप से नौकरी पा चुके हैं। स्थानीय स्तर पर काम मिलने से पलायन में कमी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
सरकार का मानना है कि आने वाले वर्षों में सौर ऊर्जा, यूपी की आर्थिक रीढ़ बनने जा रही है। जैसे-जैसे सौर संयंत्रों का विस्तार होगा, उसी अनुपात में बिजली खपत का बोझ घटेगा तथा उद्योगों को लाभ मिलेगा। यह मॉडल स्वच्छ ऊर्जा और सतत विकास की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सौर ऊर्जा को लोककल्याण और आर्थिक उन्नति की नीतियों से जोड़ा है। अब सौर ऊर्जा का लाभ सिर्फ तकनीकी रूप से नहीं, सामाजिक और आर्थिक रूप से भी जमीन पर दिखाई देने लगा है, जिससे आने वाले समय में उत्तर प्रदेश स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बन सकता है।
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