
शहर अब सिर्फ ईंट-पत्थरों का विस्तार नहीं, बल्कि जीवंत सामाजिक संरचनाओं की पहचान बनने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार एक ऐसी व्यापक शहरी पुनर्विकास नीति तैयार कर रही है, जो पुराने शहरी ढांचों में नई जान फूंकेगी और नगरों को आधुनिकता, परंपरा और मानवता के अनूठे संगम से जोड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नई नीति केवल भवनों के पुनर्निर्माण तक सीमित नहीं होगी, बल्कि शहरों के समग्र पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि नीति का उद्देश्य पुराने, जर्जर या अनुपयोगी क्षेत्रों को आधुनिक बुनियादी ढांचे, पर्याप्त सार्वजनिक सुविधाओं और पर्यावरणीय संतुलन के साथ पुनर्जीवित करना है। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि नीति में भूमि पुनर्गठन, निजी निवेश को प्रोत्साहन, और पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा, जनहित हर परियोजना में सर्वोपरि रहना चाहिए और प्रभावित परिवारों की आजीविका की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि नई नीति में राज्य स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण, सिंगल विंडो अप्रूवल प्रणाली और पीपीपी मॉडल जैसे प्रावधानों को वरीयता दी जाए। निवेशकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश और सुरक्षा मिले, ताकि वे पुनर्विकास परियोजनाओं में सक्रिय रूप से भाग ले सकें। हर परियोजना में हरित भवन मानक, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास के प्रावधान को अनिवार्य किया जाएगा।
सीएम योगी ने कहा कि नगरों की ऐतिहासिक विरासत, स्थानीय कला-संस्कृति और पारंपरिक पहचान को नई नीति में सुरक्षित रखा जाएगा। उन्होंने पुराने बाजारों, सरकारी आवास परिसरों, औद्योगिक क्षेत्रों और अनधिकृत बस्तियों के लिए क्षेत्रवार अलग रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए। नई नीति के मसौदे को जनप्रतिनिधियों, नगर निकायों और नागरिकों के सुझावों के आधार पर तैयार कर कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा।
बैठक में बाह्य विकास शुल्क (External Development Fee) को लेकर गहन चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने इसे जनहित व व्यावहारिकता के अनुरूप बनाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी भूमि उपयोगों (आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक, कृषि) पर समान शुल्क दरें लागू हैं, जो व्यावहारिक नहीं हैं।
उन्होंने निर्देश दिए कि भूमि के लोकेशन और उपयोग के आधार पर शुल्क दरें तय की जाएं। औद्योगिक व कृषि उपयोग की भूमि पर शुल्क कम और आवासीय व व्यावसायिक भूमि पर तुलनात्मक रूप से अधिक रखा जाए। इसके साथ ही नगर निकाय सीमा के भीतर और बाहर की भूमि पर भी दरों में अंतर रखने का प्रस्ताव है, ताकि विकास और निवेश दोनों का संतुलन बना रहे।
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