
Uttar Pradesh e-stamping: प्रदेश सरकार ने 10 हजार से 25 हजार रुपये तक के भौतिक स्टांप पेपर को चलन से बाहर करने का निर्णय लिया है। अब इनके स्थान पर केवल ई-स्टांप का उपयोग होगा। जल्द ही इस संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी। सोमवार को योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में स्टांप एवं पंजीयन विभाग के इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई। सरकार का मानना है कि इस कदम से गड़बड़ियों पर रोक लगेगी और व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी।
प्रदेश के कोषागारों में 5000 रुपये से अधिक मूल्य के स्टांप पेपर की बिक्री में लगातार गिरावट देखी जा रही थी। आंकड़ों के अनुसार, 6 अक्टूबर 2024 तक कोषागारों में 10 हजार से 25 हजार रुपये मूल्य तक के कुल 5630.87 करोड़ रुपये के स्टांप पेपर पड़े हुए थे। सचिव वित्त की अध्यक्षता में गठित समिति की 14 अक्टूबर 2024 को हुई बैठक में इन स्टांपों को नष्ट करने को लेकर सहमति बनी थी।
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सरकार के निर्णय के अनुसार, 10 हजार से 25 हजार रुपये तक के भौतिक स्टांप पेपर को अधिसूचना जारी कर चलन से बाहर किया जाएगा। अधिसूचना जारी होने के बाद कोषागारों में जमा अवशेष स्टांप पेपर नष्ट कर दिए जाएंगे, जिससे इनका दुरुपयोग न हो सके। हालांकि, जो लोग पहले ही इस मूल्य के स्टांप खरीद चुके हैं, वे 31 मार्च 2025 तक इनका प्रयोग या वापसी कर सकते हैं।
स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि संबंधित अधिसूचना एक-दो दिन में जारी कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिनके पास 10 हजार, 15 हजार, 20 हजार या 25 हजार रुपये के स्टांप पेपर हैं और उनका उपयोग नहीं किया जा सका है, वे इन्हें वापस कर सकते हैं ताकि किसी को नुकसान न हो।
रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि अब ई-स्टांप की व्यवस्था पूरी तरह लागू होने से सरकार का करोड़ों रुपये बचेंगे। भौतिक स्टांप पेपर की छपाई और ढुलाई में लगभग 7 करोड़ रुपये खर्च होते थे, जो अब बच जाएगा। ई-स्टांप से प्रक्रियाओं को डिजिटल और अधिक सुरक्षित बनाया जा रहा है।
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