यूपी के पूर्व मंत्री कद्दावर नेता हरिशंकर तिवारी का निधन, 88 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

Published : May 16, 2023, 09:03 PM ISTUpdated : May 17, 2023, 01:11 AM IST
Hari Shankar Tiwari

सार

मंगलवार को अपने गोरखपुर स्थित हाता आवास में उन्होंने अंतिम सांस ली। श्री तिवारी 88 वर्ष के थे और काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे।

Harishankar Tiwari passed away: यूपी के पूर्व मंत्री व पूर्वांचल के कद्दावर नेता पंडित हरिशंकर तिवारी का निधन हो गया है। मंगलवार को अपने गोरखपुर स्थित हाता आवास में उन्होंने अंतिम सांस ली। श्री तिवारी 88 वर्ष के थे और काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। शाम करीब छह बजे उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद डॉक्टर्स हाता पहुंचे। हाता में ही उन्होंने करीब साढ़े छह बजे अंतिम सांस ली। पूर्वांचल के बाहुबली नेता के निधन की सूचना के बाद उनके आवास पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। बीजेपी सांसद  डॉ.आरएमडी अग्रवाल, बीजेपी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद रमापति राम त्रिपाठी, पूर्व मेयर डॉ.सत्या पांडेय, सपा सरकार के पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह सहित तमाम दिग्गज हाता पहुंच श्रद्धासुमन अर्पित किया। श्री तिवारी का अंतिम संस्कार बुधवार को किया जाएगा। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके निधन पर शोक जताया है।

पहली बार निर्दलीय विधानसभा में पहुंचे थे

पूर्वांचल में ब्राह्मण राजनीति के प्रमुख चेहरे हरिशंकर तिवारी पहली बार चिल्लूपार से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और जीत दर्ज कर इतिहास रचा था। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जेल से ही पर्चा भरकर जीतने के बाद पूरे प्रदेश में उनकी ख्याति हो गई। बाद में कांग्रेस में चले गए और कई बार कांग्रेस के विधायक रहे। हालांकि, कांग्रेस से अलग होकर उन्होंने लोकतांत्रिक कांग्रेस बनाया था और लोकतांत्रिक कांग्रेस से चिल्लूपार विधायक बनते रहे। पूर्वांचल में ब्राह्मणों के सर्वमान्य नेता के रूप में पहचान बनाने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी पांच बार मंत्री रहे। वह कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल से लेकर मायावती और मुलायम सिंह सरकार में भी मंत्री रहे हैं।

हालांकि, अस्वस्थता के चलते सक्रिय राजनीति से दूर हो गए हैं। बेटे भीष्म शंकर तिवारी, विनय शंकर तिवारी व भांजे गणेश शंकर पांडेय उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं। बेटे भीष्म शंकर तिवारी संतकबीरनगर से सांसद रह चुके हैं जबकि विनय शंकर तिवारी उनकी परंपरागत सीट चिल्लूपार से विधायक रहे हैं। बीता विधानसभा चुनाव वह हार गए थे। उनके भांजे गणेश शंकर पांडेय कई बार एमएलसी रहने के साथ साथ विधान परिषद के सभापति भी रहे हैं।

 

 

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