
लखनऊ। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लव जिहाद रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध (संसोधन) विधेयक 2024 (Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion (Amendment) Bill, 2024) पेश किया गया। चर्चा के बाद मंगलवार को लव जिहाद बिल (Love Jihad Bill) नाम से चर्चित यह विधेयक पास हो गया है।
इसके साथ ही यूपी में अब लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल से स्वीकृति मिलने के बाद यह बिल कानून का रूप ले लेगा। इसके बाद अगर कोई व्यक्ति लव जिहाद के मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे उम्र कैद की सजा हो सकती है। नए बिल में लव जिहाद करने वालों को 20 साल से लेकर आखिरी सांस तक जेल की सजा के प्रावधान हैं।
बिल पास होने का भाजपा ने स्वागत किया है। इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने 'विभाजनकारी' करार दिया है और कहा है कि इससे समाज में दुश्मनी पैदा होगी। विधेयक में पहले की सजा को दोगुना कर दिया गया है। विधेयक में अब "लव जिहाद" की व्यापक परिभाषा शामिल है। इसमें ऐसे और अपराध शामिल हैं जिनके लिए आजीवन कारावास हो सकता है।
यूपी के 'लव जिहाद' कानून में मुख्य संशोधन क्या हैं?
मूल विधेयक में एक से 10 साल तक की सजा का प्रावधान था। इसे बढ़ाकर 20 साल या आखिरी सांस तक जेल की सजा किया गया है। पहले सिर्फ शादी के लिए किए गए धर्म परिवर्तन को अमान्य घोषित किया गया था। अब झूठ बोलकर या धोखा देकर धर्म परिवर्तन को अपराध माना गया है। स्वैच्छिक धर्म परिवर्तन के मामलों में संबंधित लोगों के लिए दो महीने पहले मजिस्ट्रेट को जानकारी देना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर छह महीने से तीन साल की कैद और 10,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है।
अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के नाबालिगों या महिलाओं के अवैध धर्मांतरण के लिए अपराधियों को तीन से दस साल की कैद और 25,000 रुपए जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। विधेयक में जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन के लिए एक से पांच साल की कैद और 15,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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2021 में पारित लव जिहाद विधेयक क्या था?
यूपी सरकार ने पहली बार 2021 में लव जिहाद विधेयक पास कराया था। इसमें लव जिहाद करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। कानून में कहा गया है कि अगर किसी महिला का धर्म परिवर्तन केवल शादी के लिए किया गया है तो विवाह को "अमान्य" माना जाएगा। यह साबित करने का भार कि धर्म परिवर्तन जबरन नहीं किया गया था आरोपी और जिसका धर्म बदला गया उसपर था। विधेयक का उद्देश्य यह तय करना था कि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को धोखे में रखकर या दबाव डालकर विवाह के माध्यम से धर्मांतरण न कर सके।
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