मुख्यमंत्री योगी के सख्त निर्देशों का असर, यूपी में पराली जलाने की घटनाएं घटीं

Published : Nov 13, 2025, 04:42 PM IST
yogi adityanath

सार

Uttar Pradesh: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों और सतत मॉनिटरिंग से उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी आई है। 20 जिलों में सेटेलाइट निगरानी, जुर्माने और जागरूकता अभियानों का असर दिखने लगा है। 

Yogi Adityanath: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों और लगातार मॉनिटरिंग का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी कमी दर्ज की गई है। राज्य सरकार के प्रयासों से किसान अब फसल अवशेष प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों को अपनाने लगे हैं।

20 जिलों में घटी पराली जलाने की घटनाएं

मथुरा, पीलीभीत, सहारनपुर, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी, कौशांबी, एटा, हरदोई, जालौन, फतेहपुर, महराजगंज, कानपुर देहात, झांसी, मैनपुरी, बहराइच, इटावा, गोरखपुर, अलीगढ़, उन्नाव और सीतापुर जैसे 20 जिलों में पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। इनमें एटा, कौशांबी, सीतापुर और उन्नाव जैसे जिलों में सबसे कम घटनाएं हुई हैं, जिससे साफ है कि मुख्यमंत्री योगी के निर्देशों का असर प्रभावी रूप से हो रहा है।

सेटेलाइट से रखी जा रही है सख्त निगरानी

मुख्यमंत्री योगी ने सभी जिलाधिकारियों और विभागों को निर्देश दिया था कि पराली जलाने की हर घटना की सेटेलाइट के जरिए निगरानी की जाए। साथ ही किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन, कंपोस्टिंग और बायो-डीकंपोजर जैसी तकनीकों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। किसानों को मशीनों और तकनीकी सहायता भी दी जा रही है ताकि वे पराली जलाने की बजाय पर्यावरण हितैषी विकल्प अपनाएं।

जुर्माने और जिम्मेदारी की व्यवस्था

राज्य सरकार ने पराली जलाने वालों के खिलाफ जुर्माने की सख्त व्यवस्था की है।

  • दो एकड़ से कम खेत पर ₹2,500
  • दो से पांच एकड़ पर ₹5,000
  • पांच एकड़ से अधिक खेत पर ₹15,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

इसके अलावा हर 50 से 100 किसानों पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा रहा है, जो अपने क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखेंगे और रोकथाम सुनिश्चित करेंगे।

सरकार का उद्देश्य: किसानों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाना

राज्य सरकार का लक्ष्य केवल दंड देना नहीं बल्कि किसानों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक बनाना है। प्रशासनिक अधिकारियों की मॉनिटरिंग और जागरूकता अभियानों से अब किसान पराली से खाद और बायोफर्टिलाइजर तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

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