
अगर आर्थिक हालत ठीक न हो, साथ में सेहत भी खराब हो और बच्चे प्यार न करें, तो बुढ़ापा एक श्राप जैसा लगता है। ऐसा ही कुछ यहाँ एक बूढ़े माँ-बाप के साथ हुआ है। जिन बच्चों को उन्होंने प्यार से पाला-पोसा और बड़ा किया, आज वही उनके खिलाफ हो गए और उन्हें सड़क पर छोड़ दिया। बच्चों के इस बर्ताव से दुखी माँ-बाप ने अपनी इज्जत की खातिर और इस डर से कि बच्चों की बदनामी होगी, यह बात पड़ोसियों को भी नहीं बताई। लेकिन 3-4 दिनों तक सड़क पर भटकते इस जोड़े को एक थाने के इंस्पेक्टर ने देखा। जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने रोते हुए अपने बच्चों के दिए दुख के बारे में बताया। यह दिल दहला देने वाली घटना उत्तर प्रदेश के एटा के जलेसर में हुई है।
इस जोड़े के दोनों बेटे रोज़ अपने बूढ़े माँ-बाप से झगड़ा करते थे। बच्चों की परेशानी बढ़ने के बावजूद, उन्हें वहीं रहना पड़ रहा था। 4 दिन पहले, बेटों ने माँ-बाप से झगड़ा किया और उन्हें घर से बाहर निकालकर दरवाज़े पर ताला लगाकर चले गए और वापस नहीं आए। इस वजह से, यह जोड़ा 4 दिनों से भूख और अपमान का दर्द झेल रहा था। इसके बाद यह मामला पुलिस के ध्यान में आया। पुलिस उन्हें घर ले गई, ताला तोड़ा और उन्हें घर के अंदर बिठाया। साथ ही, उनके लिए खाना भी लाकर दिया।
72 साल के हरिशंकर और 68 साल की कटोरी देवी ही वो लाचार माँ-बाप हैं, जिन्हें उनके बच्चों ने ही मुसीबत में डाल दिया। वे जलेसर कस्बे के मोहल्ला गंज के रहने वाले हैं। इस जोड़े के तीन बेटे हैं- संजू, विष्णु और एक और बेटा। इनमें से एक बेटा कई साल पहले अपनी पत्नी के साथ फिरोजाबाद चला गया था और वहीं रहता है। यह जोड़ा अपने दो बेटों, संजू और विष्णु के साथ रह रहा था। 1 नवंबर को विष्णु और संजू ने अपने माँ-बाप से झगड़ा किया और घर की रसोई और अनाज रखने वाले कमरे में ताला लगा दिया। फिर माँ-बाप को घर से बाहर निकालकर दरवाज़े पर भी ताला लगा दिया।
यह जोड़ा घर के बाहर एक कमरे में रह रहा था, जहाँ कोई सुविधा नहीं थी। वे इंतज़ार करते रहे कि ताला लगाकर गए बच्चे वापस आएँगे, लेकिन कई दिन बीत जाने पर भी बच्चे नहीं लौटे। यह सोचकर कि किसी को बताने से बच्चों की बदनामी होगी, माँ-बाप ने पड़ोसियों को भी कुछ नहीं बताया। कई दिनों तक भूखे रहने के बाद पुलिस ने उन्हें देखा और मदद की। अब पुलिस ही इस जोड़े की पूरी मदद कर रही है और कहा है कि अगर बच्चे परेशान करें तो उन्हें जानकारी दें।
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