7 साल के उज्बेकी लड़के की नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में हुई ब्रेन ट्यूमर की जटिल सर्जरी, जानिए पूरी कहानी

नोएडा के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में चार सेंटीमीटर लंबे ब्रेन ट्यूमर को निकालने के लिए एक चुनौतीपूर्ण 'रीडो सर्जरी-redo surgery' के बाद एक उज्बेकी लड़के को नया जीवन मिला है। 5 घंटे तक चली सर्जरी के चार दिन बाद 7 साल के बच्चे को छुट्टी दे दी गई।

Amitabh Budholiya | Published : May 26, 2023 1:05 AM IST / Updated: May 26 2023, 07:05 AM IST

नई दिल्ली. नोएडा के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में चार सेंटीमीटर लंबे ब्रेन ट्यूमर को निकालने के लिए एक चुनौतीपूर्ण 'रीडो सर्जरी-redo surgery' के बाद एक उज्बेकी लड़के को नया जीवन मिला है। डॉक्टरों ने बताया कि 5 घंटे तक चली सर्जरी के चार दिन बाद 7 साल के बच्चे को छुट्टी दे दी गई। (Demo pic)

नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में रीडो सर्जरी की कहानी

नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में न्यूरोसर्जरी के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने ये रीडो सर्जरी की। अस्पताल के एक बयान में कहा गया कि डॉक्टरों ने हाल ही में पोस्टीरियर फोसा (खोपड़ी के पिछले हिस्से में एक छोटी सी जगह) में रीडो सर्जरी की मदद से पिछले मस्तिष्क से 4 सेंटीमीटर लंबे ट्यूमर को हटाने के लिए ऑपरेशन किया था।

मरीज का इससे पहले 2021 में उज्बेकिस्तान में ऑपरेशन किया गया था, जहां ट्यूमर का केवल एक आंशिक पार्ट ही निकाला गया था। इसके बाद रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की गई थी। हालांकि, मरीज की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और उसका परिवार बेहतर मेडिकल एक्सपर्ट और ट्रीटमेंट की उम्मीद में भारत आए।

भारत में रीडो सर्जरी का एक उदाहरण

नोएडा के फोर्टिस में भर्ती होने पर रोगी अर्धमूर्छित की स्थिति में था। कभी-कभी उल्टी के साथ तेज सिरदर्द, चलने में कठिनाई और भूख न लगना जैसी समस्याएं थीं। यहां एक ब्रेन एमआरआई किया गया था। इसमें ब्रेन (हाइड्रोसिफ़लस) में बढ़े हुए पानी के साथ एक ट्यूमर का पता चला था।

इसके बाद डॉक्टरों ने फिर से ऑपरेशन करने की योजना बनाई। हालांकि यह चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि इसमें खोपड़ी के जटिल क्षेत्र में एक छोटे बच्चे की दोबारा सर्जरी की जानी थी, जो पहले ही रेडिएशन के संपर्क में आ चुका था।

फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. राहुल गुप्ता की सक्सेस

फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया-"यह एक असामान्य ब्रेन ट्यूमर था, क्योंकि ट्यूमर का आकार पश्चमस्तिष्क( hindbrain) के आकार की तुलना में बड़ा था। यह और ब्रेन स्टेम को धकेल रहा था। पोस्टीरियर फोसा में एक फिर से सर्जरी करना बहुत चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि यह मस्तिष्क का एक छोटा सा कंपार्टमेंट है। इस मामले में ब्रेन के स्टेम और महत्वपूर्ण ब्लड वेसल्स जैसी महत्वपूर्ण संरचनाएं ट्यूमर के आसपास के क्षेत्र में होती हैं।"

गुप्ता ने कहा, ''लड़के का इलाज नहीं होता तो वह एक महीने से ज्यादा नहीं बच पाता। 2021 में बच्चे को दिए गए रेडिएशन ने टिश्यू को सख्त बना दिया था और सभी टिश्यू एक-दूसरे से चिपक गए थे, जिससे डिसेक्शन बहुत मुश्किल हो गया था। हमने इसे पूरी तरह से इसे काट दिया और सभी महत्वपूर्ण संरचनाओं को बचा लिया। मरीज को एक दिन के लिए आईसीयू में रखा गया था और सर्जरी के 24 घंटे बाद उसे उसने खाना मांगा। वह 48 घंटे के बाद चलने में सक्षम था। और बिना किसी जटिलता के चार दिनों के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।"

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