
वाराणसी: नए साल की आहट और माघ मेले की तैयारियों के बीच धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी एक बार फिर श्रद्धालुओं के स्वागत को तैयार है। देश-विदेश से आने वाले लाखों पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ को देखते हुए काशी के नाविक समाज ने गंगा घाटों पर सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर व्यापक योजना तैयार की है। 84 घाटों पर तैनात हजारों नाविकों ने यह संकल्प लिया है कि श्रद्धालुओं की आस्था, सुरक्षा और सुविधा में किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी जाएगी।
प्रयागराज में महाकुंभ के बाद आयोजित होने वाले माघ मेले के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज से काशी गंगा स्नान और दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इसे देखते हुए नाविक समाज ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। नाविकों का कहना है कि यात्रियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी और हर घाट पर विशेष सतर्कता बरती जाएगी।
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मां गंगा निषाद राज सेवा समिति के तत्वावधान में शुक्रवार को नमो राजघाट पर सैकड़ों की संख्या में नाविक समाज के लोग एकत्रित हुए। दुर्गा मांझी की अध्यक्षता में आयोजित इस विशाल बैठक और जनसभा में आगामी नए वर्ष, माघ मेला और श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ को लेकर विस्तृत चर्चा की गई।
बैठक को संबोधित करते हुए दुर्गा मांझी ने कहा कि नया साल और माघ मेला दोनों ही काशी के लिए महत्वपूर्ण अवसर हैं। इस दौरान प्रयागराज से लाखों श्रद्धालु स्नान-ध्यान के बाद काशी पहुंचते हैं। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को नाविक समाज अपनी परंपरा और धर्म का हिस्सा मानकर निभाता है।
मां गंगा निषाद राज सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद कुमार निषाद ने बैठक के दौरान काशी के सभी 84 घाटों पर कार्यरत नाविकों को स्पष्ट और सख्त निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नाव पर लाइफ जैकेट, ट्यूब और रस्सी अनिवार्य रूप से मौजूद होनी चाहिए। किसी भी हालत में नावों पर ओवरलोडिंग नहीं की जाएगी।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि कोई भी नाविक मदिरा सेवन कर नाव संचालन नहीं करेगा। यदि कोई यात्री गंगा में डूबता हुआ दिखाई देता है, तो नाविक उसे बचाना अपना कर्तव्य और धर्म समझकर तत्काल सहायता करेगा, भले ही इसके लिए अपनी जान जोखिम में क्यों न डालनी पड़े।
समिति की ओर से यह भी साफ किया गया कि यात्रियों से किसी भी प्रकार का मनमाना किराया नहीं वसूला जाएगा। तय दरों के अनुसार ही नाव संचालन किया जाएगा। यदि कोई नाविक नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ समिति की ओर से कानूनी कार्रवाई कराई जाएगी।
नाविक समाज का कहना है कि काशी की पहचान गंगा, घाट और आस्था से जुड़ी है, और इस पहचान को सुरक्षित रखना उनकी जिम्मेदारी है। नए साल और माघ मेले के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए नाविक समाज पूरी तरह तैयार है, ताकि काशी आने वाला हर श्रद्धालु सुरक्षित, संतुष्ट और आध्यात्मिक अनुभव के साथ लौट सके।
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