वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी से जुड़े सभी सात मामलों की सुनवाई अब एक साथ होगी। इससे संबंधित प्रार्थना पत्र पर सोमवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने आदेश सुना दिया है।
वाराणसी: उत्तर प्रदेश की विश्वनाथ नगरी काशी में सोमवार को ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी से जुड़े सभी सात मामलों की सुनावाई को लेकर कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। लंबे समय से बैक-टू-बैक तारीख मिलने के बाद अब वाराणसी न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए सात मामलों की सुनवाई अब एक साथ होगी। कोर्ट ने ज्ञानवापी में पूजा और राग-भोग से संबंधित 18 मामलों की फाइलें तलब की हैं। जिसका अध्ययन करने के बाद देखा जाएगा कि कौन सा मामला एक साथ सुनने योग्य है या नहीं। इससे संबंधित प्रार्थना पत्र सोमवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने आदेश सुनाया गया है।
सात बार टला ज्ञानवापी ट्रांसफर एप्लीकेशन का आदेश
इस मामले में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी और मदन मोहन यादव का कहना है कि हिंदू पक्ष के लिए यह एक बड़ी जीत है। जिला जज अजय कुमार विश्वेश की कोर्ट ने हमारे प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया है और ज्ञानवापी से जुड़ी सभी फाइलों को तलब किया है। सातों मामलों को लेकर कोर्ट ने कहा कि क्लब कर लिए गए हैं और बाकी के मामलों में कोर्ट को लगा कि फाइलों को मेरिट के आधार पर अलग सुनवाई करनी है तो फिर उस केस को बाहर कर दिया जाएगा। जिसकी प्रोसीडिंग अलग से होगी। इस मामले को लेकर अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी का कहना है कि अब कोर्ट से लेकर वादियों का भी समय बचेगा। इससे पहले ज्ञानवापी ट्रांसफर एप्लीकेशन का आदेश सात बार टला जा चुका है।
22 फरवरी को आना था कोर्ट का फैसला
वाराणसी के जिला जज अजय कुमार विश्वेश की छुट्टी होने या सार्वजनिक अवकाश के चलते आदेश नहीं हो पा रहा था। ज्ञानवापी मामले और श्रृंगार गौरी को लेकर आज चार महिला वादियों को इस आदेश का इंतजार होने के साथ-साथ उम्मीद भी थी और वहीं हुआ भी। आपको बता दें कि इस केस पर आदेश 22 फरवरी को ही आना था क्योंकि कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। उसके बाद सात तारीखें मिलीं। इस अर्जी पर सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद आदेश के लिए तिथि तय कर दी गई थी। सीता साहू, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास और रेखा पाठक के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने के पक्ष में अपनी बात रखी थी। ज्ञानवापी के मामलों में अधिवक्ताओं का कहना है कि सभी मामले एक जैसे हैं। इनकी अलग-अलग सुनवाई नहीं होनी चाहिए।