सार

यूपी के जिले प्रयागराज में माफिया अतीक, चाचा अशरफ, भाई असद की मौत के बाद नैनी जेल में बंद अतीक अहमद का बेटे के द्वारा खुद को घायल किए जाने की मीडिया में चल रही जानकारी का अधिकारियों ने खंडन किया है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के जिले प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस सुरक्षा के बीच 15 अप्रैल की रात को गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने तीनों हत्यारों को हिरासत में ले लिया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में नैनी सेंट्रल जेल भेजा दिया। दरअसल, शूटर्स सनी सिंह, अरुण मौर्य और लवलेश तिवारी को नैनी जेल में रखा गया और यहां पर अतीक का बेटा अली अहमद भी कैद है। हालांकि तीनों शूटर्स को नैनी जेल से प्रतापगढ़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया है।

शहर के कॉल्विन अस्पताल परिसर में हुई थी माफिया की हत्या

पुलिस द्वारा रिमांड की अर्जी मंजूर होने के बाद STF तीनों शूटर्स से पूछताछ करेगी। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने वाले तीनों हमलावरों सनी सिंह, अरुण मौर्य और लवलेश तिवारी को रविवार को प्रयागराज की अदालत में पेश किया गयाा। पुलिस ने तीनों की कोर्ट से रिमांड मांगी थी लेकिन कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। आपको बता दें कि 15 अप्रैल की रात को कॉल्विन हॉस्पिटल परिसर में 18 सेकेंड में 20 राउंड गोलियां चलती हैं। इस दौरान माफिया अतीक और उसका भाई अशरफ मारा जाता है।

विपक्ष ने जमकर साधा निशाना

अतीक और अशरफ की हत्या के बाद विपक्ष की ओर से भी योगी सरकार ने जमकर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा था कि, 'उप्र में अपराध की पराकाष्ठा हो गयी है और अपराधियों के हौसले बुलंद है। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसीकी हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।' इसी के साथ बीएसपी चीफ मायावती ने इस घटना पर कई सवाल उठाए थे। उन्होंने लिखा था कि, 'गुजरात जेल से अतीक अहमद व बरेली जेल से लाए गए उनके भाई अशरफ की प्रयागराज में कल रात पुलिस हिरासत में ही खुलेआम गोली मारकर हुई हत्या, उमेश पाल जघन्य हत्याकाण्ड की तरह ही, यूपी सरकार की कानून-व्यवस्था व उसकी कार्यप्रणाली पर अनेकों गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है। देश भर में चर्चित इस अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय घटना का माननीय सुप्रीम कोर्ट अगर स्वंय ही संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे तो बेहतर। वैसे भी उत्तर प्रदेश में ’’कानून द्वारा कानून के राज’’ के बजाय, अब इसका इण्काउण्टर प्रदेश बन जाना कितना उचित? सोचने की बात।'

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