योगी का सपा पर हमला, कहा- सेंगोल पर सपाइयों की टिप्पणी उनकी अज्ञानता दर्शाती है

भारतीय संसद से सपाइयों के सेंगोल को हटाने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी दल पर निशाना साधा है। योगी ने ट्वीट कर कहा है कि इनके मन में भारत के इतिहास और संस्कृति के लिए सम्मान नहीं है। 

Yatish Srivastava | Published : Jun 27, 2024 9:50 AM IST

उत्तर प्रदेश। लोकसभा में संसद सत्र के दौरान सपा नेताओं ने अचानक राजदंड (सेंगोल) हटाए जाने की मांग रख नया विवाद खड़ा कर दिया। संसद सत्र के दौरान सपा नेताओं ने सेंगोल हटाने की मांग पर भाजपा की ओर से विरोध शुरू हो गया। भाजपा ने दो टूक कहा है कि सेंगोल भारतीय संस्कृति का प्रतीक है और इसे स्थापित किया जा चुका है। अब इसे यहां से नहीं हटाया जाएगा। संसद में इसे लेकर विवाद छिड़ने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सपा नेताओं पर निशाना साधा है। योगी ने ट्वीट कर कहा है कि सपाइयों के मन में भारत के इतिहास को लेकर जरा भी सम्मान नहीं है। 

योगी ने ट्वीट कर कही ये बात
योगी आदित्यनाथ ने सेंगोल हटाने की टिप्पणी पर सपा नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, समाजवादी पार्टी के मन में भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रति कोई सम्मान नहीं है। सेंगोल को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं की ऐसी टिप्पणी करना निंदनीय है। सपा नेताओं की इस प्रकार की मांग उनकी अज्ञानता को भी दर्शाता है। योगी ने कहा कि सपाइयों की ये टिप्पणी विशेष रूप से तमिस संस्कृति के प्रति इंडिया गठबंधन की नफरत को दर्शाता है। सेंगोल भारत का गौरव है और यह सम्मान की बात है कि पीएम मोदी ने इसे संसद में सर्वोच्च सम्मान दिया है। ऐसे में सपा की इस टिप्पणी की जितनी निंदा की जाए कम है। 

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सेंगोल पर छिड़ा विवाद
संसद में स्थापित किया गया राजदंड यानी सेंगोल पर फिर से विवाद छिड़ गया है। विपक्षी दलों की ओर से संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास स्थित सेंगोल को हटाने की मांग की जा रही है। विपक्षी दल ने सेंगोल को राजशाही का प्रतीक बताते हुए इसे हटाकर संविधान को स्थापित करने की मांग की है। सपा सांसद आरके चौधरी ने कहा सेंगोल का अर्थ है राजदंड। राजदंड से मतलब राजा का डंडा से है इसलिए इसे हटाया जाना चाहिए।

न्याय और धर्म का प्रतीक
संगोल का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। यह शक्ति और अधिकार का ही नहीं, न्याय-धर्म और सत्य का भी प्रतीक माना जाता है। यह भारतीय संसद के स्पीकर के सामने रखा गया है जो लोकतंत्र और कानून के शासन का नेतृत्व करता है।

 

 

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