
बागपत: उत्तर प्रदेश में किसानों की समृद्धि और सीधे संवाद पर आधारित योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियां अब ठोस परिणाम दे रही हैं। सोमवार को मीतली गांव में हुई पहली चौपाल के बाद बुधवार को बागपत के हिसावदा गांव में आयोजित कृषि चौपाल ने किसानों की सक्रिय भागीदारी और आत्मविश्वास का नया प्रमाण पेश किया। करीब साढ़े तीन सौ किसानों ने इस चौपाल में हिस्सा लिया, अपने अनुभव और सुझाव साझा किए और यह भरोसा जताया कि उनकी बात सीधे सरकार तक पहुंच रही है।
चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग की उपलब्धियों का असर अब गांवों की अर्थव्यवस्था में साफ दिखाई दे रहा है। पहले मिलों के बंद रहने और भुगतान में देरी की वजह से परेशान रहने वाले किसान अब समय पर भुगतान प्राप्त कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। 2017 से गन्ना मूल्य में लगातार वृद्धि की गई है, जिससे किसानों के उत्पादन उत्साह और लाभ में वृद्धि हुई। हिसावदा की चौपाल में किसान अधिक सुझावोन्मुख दिखे। उन्होंने गन्ना कटाई की समयबद्धता, पर्ची जारी करने की प्रक्रिया और अन्य प्रशासनिक सुधारों पर ठोस फीडबैक दिया। यह पहल साबित करती है कि किसान सिर्फ लाभार्थी नहीं हैं, बल्कि नीति निर्माण में भी सक्रिय भागीदार बन रहे हैं।
बागपत, हापुर, शामली और मुजफ्फरनगर के गांवों में आयोजित चौपालों ने यह संदेश दिया कि सरकार किसानों की हर बात सुन रही है और उसी आधार पर अगले कदम तय कर रही है। चीनी मिलों की क्षमता विस्तार, सीबीजी संयंत्रों की स्थापना और गन्ना आधारित एथेनॉल उत्पादन में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बन चुका है। 2017 में एथेनॉल आसवनी की संख्या 61 थी, जो अब बढ़कर 97 हो गई है। 4 नई आसवनियां प्रस्तावित हैं। एथेनॉल उत्पादन 41.28 करोड़ लीटर से बढ़कर 182 करोड़ लीटर तक पहुंचा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली और किसानों का लाभ सीधे उनके खातों में पहुंचा।
2007 से 2017 तक गन्ना भुगतान 147,346 करोड़ रुपए था, जो 2017 से अब तक 290,225 करोड़ रुपए पहुंच चुका है। 142,879 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान सीधे किसानों के खाते में पहुंचा। गन्ना क्षेत्रफल भी 2016-17 में 20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर अब 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। गन्ना मूल्य भी अगेती किस्म के लिए 400 रुपए प्रति क्विंटल और सामान्य किस्म के लिए 390 रुपए प्रति क्विंटल प्रस्तावित है, जिससे किसानों को 3,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
उत्तर प्रदेश का यह ग्रामीण विकास मॉडल किसानों की सक्रिय भागीदारी और सीधी संवाद प्रणाली पर आधारित है। बागपत से उठती यह आवाज यह साबित करती है कि किसान अब बिचौलियों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि सरकारी नीति निर्माण में प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं। योगी सरकार की पहल से गांव-गांव में बदलाव की बयार वास्तविक विकास का आधार बन रही है।
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