भीड़ जुटाई, बवाल कराया! जियाउर्रहमान बर्क की चार्जशीट में सनसनीखेज दावा

Published : Jun 20, 2025, 02:48 PM IST
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सार

Jama Masjid riot investigation: जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुए उपद्रव में सांसद जियाउर्रहमान बर्क मुख्य साजिशकर्ता बताए गए हैं। एसआईटी की चार्जशीट में 23 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं, जिसमें मस्जिद कमेटी के सदस्य भी शामिल हैं।

MP Ziaur Rahman Burke charges: उत्तर प्रदेश के संवेदनशील जनपदों में से एक में जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुए उपद्रव की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। एसआईटी की चार्जशीट में सांसद जियाउर्रहमान बर्क को मुख्य साजिशकर्ता माना गया है। इस केस में कुल 23 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है, जिनमें जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट भी शामिल हैं।

चार्जशीट के अनुसार, 23 नवंबर की रात को मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली ने सांसद बर्क को सर्वे की जानकारी दी। इसके बाद फोन कॉल्स के ज़रिए भीड़ इकट्ठा करने की रणनीति बनी। सांसद के निजी सहायक अब्दुल रहमान के पिता रिजवान ने अपने स्तर से कॉल करके सरायतरीन और आसपास के इलाकों से लोगों को बुलाया।

रिजवान की CDR बनी सबूत, भीड़ जुटाने की साजिश का पर्दाफाश

रिजवान की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की जांच में सामने आया कि उसने कई बार सांसद से बातचीत की और फिर दर्जनों लोगों को फोन किया। यह सभी कॉल्स 23 नवंबर की रात को ही किए गए थे, जिससे स्पष्ट होता है कि साजिश पहले से तैयार थी।

चार्जशीट में सांसद जियाउर्रहमान बर्क, जफर अली, आसिफ, दानिश, मुजम्मिल, सुभान, जमशेद, रफीक, अब्दुल रहमान, रिजवान समेत कुल 23 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें से कई की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि बाकी को नोटिस जारी किया गया है।

गवाहों के बयान: बवाल की पुष्टि करते हैं

एसआईटी ने इस मामले में 14 लोगों के बयान दर्ज किए हैं, जिनमें पुलिसकर्मी और अधिवक्ता शामिल हैं। सभी गवाहों ने बवाल के दौरान की घटनाओं को विस्तार से बताया है। चार्जशीट कुल 1100 पन्नों में दाखिल की गई है। सिर्फ जफर अली ही नहीं, मस्जिद कमेटी के पांच और पदाधिकारी भी आरोपी बनाए गए हैं। फिलहाल इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन धारा 35(3) के तहत नोटिस जारी किया गया है।

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सपा विधायक के बेटे सुहेल इकबाल को मिली क्लीन चिट

बवाल के दिन सुहेल इकबाल की लोकेशन जरूर सामने आई, लेकिन उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं मिला। जांच में पुष्टि नहीं हुई कि उन्होंने भीड़ को उकसाया हो। इसी आधार पर एसआईटी ने उन्हें क्लीन चिट दी है।

चार्जशीट में सांसद द्वारा 22 नवंबर को मस्जिद के बाहर दिया गया बयान सबसे प्रमुख सबूत बताया गया है। उन्होंने कहा था, “यह मस्जिद थी, है और रहेगी,” जिसे पुलिस ने बवाल की जड़ माना है। इसी बयान के बाद माहौल संवेदनशील बना और 24 नवंबर को हिंसा भड़क उठी।

फोन कॉल्स, स्थानीय संपर्क और मस्जिद कमेटी का पूरा तंत्र  चार्जशीट में बताया गया है कि किस तरह एक संगठित नेटवर्क ने भीड़ जुटाई और सर्वे को रोकने की योजना बनाई।

अगला पड़ाव: कोर्ट में पेश होंगे सभी साक्ष्य

अब जब चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हो चुकी है, तो अगली प्रक्रिया में सभी इलेक्ट्रॉनिक और मौखिक साक्ष्य अदालत के समक्ष पेश किए जाएंगे। इस हाई प्रोफाइल केस में सांसद और कमेटी सदस्यों की भूमिका अब न्यायिक जांच के दायरे में आ चुकी है।

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