
Uttarakhand Disaster Rescue Operation: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में भारी बारिश के बाद आई लैंडस्लाइड (भूस्खलन) ने एक बार फिर पहाड़ी क्षेत्रों की नाजुक स्थिति को उजागर कर दिया है। धारचूला के पास स्थित NHPC पावर प्रोजेक्ट की सुरंग का प्रवेश द्वार बड़े-बड़े पत्थरों और मलबे से पूरी तरह अवरुद्ध हो गया, जिसके कारण कम से कम 19 कर्मचारी सुरंग के अंदर फंस गए। यह घटना न केवल क्षेत्र के लिए, बल्कि राज्य के डिजास्टर मैनेजमेंट सिस्टम के लिए भी एक बड़ा चैलेंज है।
धारचूला उपजिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा और पिथौरागढ़ की पुलिस अधीक्षक रेखा यादव ने बताया कि कर्मचारी सुरक्षित हैं और प्रशासन उनसे लगातार संपर्क में है। सुरंग में पर्याप्त राशन और जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं, जिससे कर्मचारियों को तत्काल कोई खतरा नहीं है। हालांकि भारी मलबा और लगातार हो रही बारिश बचाव अभियान को बेहद चुनौतीपूर्ण बना रही है।
प्रशासन की ओर से सीमा सड़क संगठन (BRO) और NHPC टीम ने बचाव कार्य शुरू कर दिया है। भारी पत्थरों और मलबे को हटाने के लिए JCB मशीनें और अन्य हैवी इक्विपमेंट लगातार काम कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि यदि मौसम ने साथ दिया, तो शाम तक सुरंग का रास्ता साफ कर लिया जाएगा।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हिल एरियाज़ (Hill Areas) में लगातार बढ़ता कंस्ट्रक्शन और भारी बरसात पहाड़ों को अस्थिर कर रहा है? पिथौरागढ़, धारचूला और आसपास के क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश ने लैंडस्लाइड अलर्ट को बढ़ा दिया है। स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की अपील की गई है।
NHPC का यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड की ऊर्जा आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पहाड़ी इलाकों में बने ऐसे प्रोजेक्ट देश की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए अहम हैं, लेकिन बारिश और लैंडस्लाइड जैसी प्राकृतिक आपदाएं इन प्रोजेक्ट्स को बड़ा खतरा बना रही हैं।
प्रशासन ने बताया कि फंसे हुए कर्मचारियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। रेस्क्यू टीम लगातार काम कर रही है और बारिश के बीच भी राहत अभियान को तेज कर दिया गया है।
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