
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग (SEC) द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। इसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने आयोग के उस सर्कुलर को रद्द कर दिया गया था, जिसमें कई वोटर लिस्ट में नाम होने पर उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इसके साथ ही उत्तराखंड चुनाव आयोग पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पहले फैसला दिया था कि राज्य निर्वाचन आयोग का स्पष्टीकरण उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, 2016 के खिलाफ है। इस कानून में साफ बताया गया है कि एक व्यक्ति एक ही समय में एक से ज्यादा जगहों पर मतदाता के रूप में नामांकित नहीं हो सकता।
इसके बाद भी राज्य चुनाव आयोग के आदेश ने ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी। इसके चलते उसे कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ा। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के खिलाफ फैसला दिया। चुनाव आयोग ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव निकाय को फटकार लगाई और कहा, "आप वैधानिक प्रावधान के विपरीत फैसला कैसे ले सकते हैं?"
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने भाजपा और चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। X पर एक पोस्ट में कांग्रेस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने "वोट चोरी" का पर्दाफाश किया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलकर काम कर रहा है। कांग्रेस ने भाजपा पर पहले नगर निगम चुनावों के दौरान मतदाताओं के नाम गांवों से शहरों में ट्रांसफर करने और फिर पंचायत चुनावों से पहले उन्हें वापस गांव की लिस्ट में शामिल करने का आरोप लगाया। कांग्रेस के अनुसार, जब इस रणनीति का विरोध हुआ तो भाजपा ने कई जगहों पर नए सिरे से रजिस्ट्रेशन करा लिया। इससे वे एक से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने के पात्र हो गए।
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कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए छह महीने के निवास नियम के बारे में बार-बार शिकायतों के बाद भी राज्य चुनाव आयोग ने "कार्रवाई करने से इनकार कर दिया"। ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी।
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