स्पर्श हिमालय महोत्सव: देहरादून के इस गांव का अटल जी से है ताल्लुक, जानें खासियत

लेखक गांव में तीन दिवसीय स्पर्श हिमालय महोत्सव का शुभारंभ, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने किया। 40 देशों के लेखक और विचारक होंगे शामिल।

थानों (उत्तराखंड)। ऐतिहासिक थानों के लेखक गांव में स्पर्श हिमालय महोत्सव का शानदार शुभारंभ हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया। शुभारंभ से पहले कलाकारों द्वारा पारंपरिक छोलिया नृत्य का प्रदर्शन किया गया, जिससे पूरे कार्यक्रम का वातावरण सांस्कृतिक रंगों में रंग गया।

देश-विदेश के लेखक और विचारकों का संगम

स्पर्श हिमालय महोत्सव में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के लेखक, विचारक और पत्रकार शामिल हो रहे हैं। कार्यक्रम में जाने-माने साहित्यकार और लेखक प्रसून जोशी, अवधेशानंद, माला राज्य लक्ष्मी शाह और बृजभूषण गैरोला जैसी प्रतिष्ठित हस्तियां भी उपस्थित हैं। लेखक गांव के संरक्षक डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने इस अवसर पर बताया कि इसे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की संवेदनशीलता और लेखकों के प्रति उनके विशेष सम्मान की भावना से प्रेरित होकर स्थापित किया गया है। निशंक ने कहा कि अटल जी का यह सपना था कि देश में साहित्यकारों को उचित सम्मान मिले और लेखक गांव इसी सम्मान की दिशा में उठाया गया कदम है।

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लेखक गांव में समृद्ध साहित्यिक धरोहर की स्थापना

निशंक ने बताया कि लेखक गांव में एक विशाल पुस्तकालय स्थापित किया जा रहा है, जिसमें एक लाख से अधिक पुस्तकें रखी जाएंगी। यह गांव सृजनशीलता, शोध और साहित्यिक अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र बनेगा। यहां लेखकों के लिए विशेष कुटिया, अतिथि गृह, हिमालयन संजीवनी भोजनालय और ऑडिटोरियम भी बनाए गए हैं। चारों ओर हरे-भरे पहाड़ और स्वच्छ वातावरण के साथ, यह गांव साहित्य और प्रकृति का अद्भुत संगम बन जाएगा।

इस कार्यक्रम में 40 से ज्यादा देशों के लोग होंगे शामिल

इस महोत्सव में 65 से अधिक देशों के साहित्यकार और लेखक, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेंगे, वहीं 40 से अधिक देशों के लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। निशंक का कहना है कि यह लेखक गांव देश का पहला ऐसा गांव होगा, जो वैश्विक स्तर पर साहित्यकारों को एक साथ जोड़ने का काम करेगा। लेखक गांव की यह पहल साहित्यिक दुनिया के लिए एक नई उम्मीद है, जो विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और विचारधाराओं के संगम को बढ़ावा देगी।

 

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