5 दिसंबर है डेडलाइन, उत्तराखंड में हजारों Waqf Properties का भविष्य अधर में

Published : Dec 03, 2025, 03:55 PM IST
uttarakhand waqf properties registration umeed portal issues

सार

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की 5300 संपत्तियों में से सिर्फ 1400 संपत्तियां ही उम्मीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड हो पाई हैं। तकनीकी दिक्कतों और समयसीमा के दबाव के कारण मुस्लिम समुदाय में चिंता बढ़ रही है। वक्फ संपत्तियों के भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

देहरादून। उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की हजारों संपत्तियों का भविष्य इस समय अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। राज्य की कुल 5300 वक्फ संपत्तियों में से अब तक केवल 1400 संपत्तियां ही उम्मीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड हो पाई हैं। सरकार ने इस प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन तकनीकी रुकावटों ने इसे और कठिन बना दिया है। समयसीमा करीब आते ही वक्फ से जुड़ा समुदाय चिंतित और परेशान नजर आ रहा है।

वेबसाइट की तकनीकी खामियों ने बढ़ाई परेशानी

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने बताया कि लगातार प्रयासों के बावजूद वेबसाइट में आने वाली दिक्कतों की वजह से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया धीमी पड़ गई है। शुरुआती दौर में इस पहल का विरोध भी हुआ था, लेकिन अब वेबसाइट काम करने के बावजूद 75 प्रतिशत संपत्तियों का पंजीकरण नहीं हो सका है। यही सबसे बड़ी चिंता का कारण है।

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मालिकों की शिकायत: दिनभर अपलोड, शाम तक रिजेक्ट

कई संपत्ति मालिकों और होल्डर्स का कहना है कि वे दिनभर दस्तावेज़ अपलोड करते हैं, लेकिन शाम को पोर्टल उन्हें रिजेक्ट दिखा देता है। इससे उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि महज 48 घंटे में सभी दस्तावेज पूरा करना असंभव है। मालिकों ने सरकार से कम से कम 6 महीने तक और समय बढ़ाने की मांग की है, ताकि सभी वक्फ से जुड़ी संपत्तियां सही तरीके से सुरक्षित रह सकें।

अधिकतर संपत्तियाँ रजिस्ट्रेशन से बाहर, आगे क्या होगा?

सरकार ने 5 दिसंबर तक की समयसीमा तय की है। लेकिन अब भी बड़ी संख्या में वक्फ संपत्तियां रजिस्ट्रेशन से बाहर हैं। सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा हो गया है कि समयसीमा के बाद इन संपत्तियों का क्या होगा। क्या सरकार इन्हें अपने कब्जे में लेगी या वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में ही शामिल माना जाएगा, इस पर अभी तक किसी भी तरह की स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है।

समुदाय में असमंजस और तनाव

मुस्लिम समुदाय में चिंता इसलिए भी गहरी है क्योंकि वक्फ संपत्तियां धार्मिक और सामाजिक महत्व रखती हैं। यदि प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हुई, तो इन संपत्तियों पर कानूनी संकट मंडरा सकता है। लोग आशा कर रहे हैं कि सरकार समुदाय की भावनाओं को समझते हुए समयसीमा पर पुनर्विचार करे, ताकि किसी प्रकार का विवाद या संपत्ति हानि न हो।

समय कम, उम्मीदें ज्यादा

वक्फ संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए यह रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन समय कम बचा है और काम बहुत ज्यादा। ऐसे में सरकार और वक्फ बोर्ड की संयुक्त कोशिशें ही इस संकट का समाधान कर सकती हैं। फिलहाल, समुदाय की निगाहें आने वाले फैसलों पर टिकी हुई हैं।

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