वेदांता चेयरमैन बोले- 'देश में बने सेमी कंडक्टर्स की बदौलत 1 लाख से 40 हजार तक कम हो जाएंगी लैपटॉप की कीमतें'

वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने मंगलवार को ताइवान की कंपनी फ़ॉक्सकॉन के साथ जॉइंट वेंचर की घोषणा की है। अब देश न केवल अपने लोगों की डिज़िटल ज़रूरतों को पूरा कर सकेगा बल्कि दूसरे देशों को भी चिप भेज सकेगा...

Akash Khare | Published : Sep 14, 2022 2:28 PM IST / Updated: Sep 14 2022, 08:39 PM IST

टेक न्यूज. स्पलाय चेन इश्यू के दबाव के चलते हुई ग्लोबल चिप की कमी के कारण भारत में लॉन्च किए गए लैपटॉप की औसत कीमत 60 हजार रुपए से अधिक हो गई थी। हालांकि, महंगे इलेक्ट्रेनिक आइटम्स ने इस डिमांड पर असर नहीं किया। देखा जाए तो 2022 की पहली छमाही में रिकॉर्ड 5.8 मिलियन पीसी इंडियन मार्केट में आ चुके हैं। अब गुजरात मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में बने देश के पहले सेमी कंडक्टर की मदद से वेंदाता फॉक्सकॉन इंडियन टेक लैंडस्केप को पूरी तरह से ट्रांसफॉर्म करने के लिए तैयार है।

अब तक ताइवान और कोरिया में बनने वाले पुर्जे, अब इंडिया में बनेंगे
हाल ही में CNBC TV18 को दिए इंटरव्यू में वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा 1.54 लाख करोड़ के प्लांट में भारत में बने कंडक्टर और गिलास की बदौलत मौजूदा समय में 1 लाख रूपए की कीमत वाले लैपटॉप की वैल्यू गिरकर 40 हजार तक पहुंच जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि लैपटॉप के जो पुर्जे अभी तक  ताइवान और कोरिया में बनते थे वह अब इंडिया में भी बनेंगे। बता दें कि कंपनी ने हाल ही में ताइवान की कंपनी फ़ॉक्सकॉन के साथ जॉइंट वेंचर की घोषणा की है। अहमदाबाद के पास बनने वाले इस प्रोजेक्ट पर 1.54 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा। इस जॉइंट वेंचर में वेदांता के पास 62 फीसदी और ताइवान की कंपनी के पास 38 फ़ीसदी हिस्सेदारी होगी।

कम हो सकती है चीन पर निर्भरता
गुजरात में बन रहे इस प्लांट में सेमीकंडक्टर्स का उत्पादन 2 साल बाद शुरू हो जाएगा। कंपनी को इस बिजनेस से $3.5 बिलियन टर्नओवर की उम्मीद है। देश इस वक्त सेमीकंडक्टर का 100% आयात करता है और 2022 में इलेक्ट्रोनिक्स की खरीद पर देश ने $15 बिलियन का खर्चा किया है, जिसमें से 37 प्रतिशत चीन से आया है। एसबीआई की रिपोर्ट की मानें तो अगर देश चीनी निर्यात पर 20% की निभर्राता भी घटा देता है तो हमारी जीडीपी में $8 बिलियन की बढ़त हो जाएगी। बता दें कि स्वयं की माइक्रो चिप्स का उत्पादन करने की क्षमता भारत को भविष्य के लिए आत्मनिर्भर बनने में सक्षम बनाएगी, जिस पर तकनीक का प्रभुत्व होगा।

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