क्या है एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन फीचर, जो बन गया WhatsApp के गले की फांस

दिल्ली हाईकोर्ट में वॉट्सऐप ने भारत सरकार के IT एक्ट 2021 के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें वॉट्सऐप का एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन फीचर का फीचर विवाद के केंद्र में है। ऐसे में कंपनी का कहना है कि यूजर्स की प्राइवेसी बेहद जरूरी है। 

Nitesh Uchbagle | Published : Apr 26, 2024 8:31 AM IST / Updated: Apr 26 2024, 05:27 PM IST

टेक डेस्क. मेटा की इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप ने भारत सरकार के नए IT कानून के खिलाफ याचिका दायर की है। इस याचिका में कंपनी यूजर्स की प्राइवेसी को महत्व देने की बात कर रही है। वहीं सरकार का कहना है कि चैट की जानकारी और पहले किसने मैसेज भेजा है, यानी ट्रेसेब्लिटी को जरूरी माना है। ऐसे में मामला इतने आगे बढ़ गया है कि अब वॉट्सऐप को देश छोड़ने की नौबत आ गई है।

लेकिन इन सब के केंद्र में वॉट्सऐप की एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी की बात की गई है। ये कई यूजर्स के लिए जरूरी सर्विस है और सरकार के नए नियम का उल्लंघन है। ऐसे में ये टकराव डिजिटल युग में राष्ट्रीय सुरक्षा और राइट टू प्राइवेसी के बीच के संतुलन के बारे में सवाल उठता है।

जानें क्या है एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन एक कम्युनिकेशन सिस्टम है। इसमें मैसेज भेजने और रिसीव करने वाले के अलावा कोई तीसरा शामिल नहीं होता है। ये इतनी निजी होती है कि इसे कंपनी भी इस मैसेज को नहीं देख सकती है। इसमें मैसेज, फोटो, वीडियो, दस्तावेज और कॉल शामिल है।

जानें ये सर्विस कैसे करती है काम

इसमें आप मैसेज को लिखते है तो इसकी जानकारी आपके ही पास होती है। इसे एक खास पैडलॉक यानी एन्क्रिप्शन कोड से लॉक करते है। ये सिर्फ रिसीवर के पास अनलॉक यानी डिक्रिप्ट होता है।

ये फीचर क्यों जरूरी

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन ऑनलाइन प्राइवेसी का आधार है। ऐसे में यूजर्स की बातचीत को हैकर्स, अपराधियों और यहां तक कुछ सरकारों सहित चुभती नजरों से भी बचाता है। यह यूजर्स की बेहद निजी और संवेदनशील जानकारी को शेयर करने के लिए एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म बनाता है।

इस फीचर्स से IT नियमों का उल्लंघन

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को यूजर्स की प्राइवेसी के लिहाज से बेहतर माना जाता है, लेकिन भारत सरकार के IT एक्ट 2021 के नियमों के साथ टकराव पैदा करता है। ऐसे में वॉट्सऐप ने इस नियम के विरुद्ध याचिका दायर की है।

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