यूनियन फाइनेंस मिनिस्ट्री के अनुसार, 2022-23 में देश में 95 हजार से भी ज्यादा यूपीआई फ्रॉड के मामले दर्ज हुए हैं। 2021-22 में यह आंकड़ा 84 हजार तक था और 2020-21 में यूपीआई फ्रॉड के कुल 77 हजार केस आए थे।
टेक डेस्क : देश में इन दिनों डिजिटल ट्रांजैक्शन का यूज काफी बढ़ गया है। शॉपिंग करनी हो या पेट्रोल-डीजल का पेमेंट करना हो, हर कोई डिजिटल तरीका ही अपना रहा है। भारत में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) सबसे ज्यादा यूज हो रही है। यूपीआई की वजह से ही हमारे देश में लेन-देन का तरीका पूरी तरह बदल दिया गया है। हालांकि, जितनी तेजी से यूपीआई का इस्तेमाल बढ़ा है, उतनी ही तेजी से धोखाधड़ी भी बढ़ा है। आए दिन ऑनलाइन स्कैम के केस आ रहे हैं। यूपीआई भी इन स्कैमर्स की जाल से बच नहीं पाया है। पिछले कुछ सालों में भारत में कई हजार यूपीआई फ्रॉड हुए हैं। आइए जानते हैं यूपीआई फ्रॉड से बचने के तरीके...
95 हजार से ज्यादा UPI फ्रॉड के शिकार
सरकारी डेटा के अनुसार, साल 2020-21 में यूपीआई फ्रॉड के कुल 77 हजार केस आए थे। 2021-22 में इसकी संख्या बढ़कर 84 हजार तक पहुंच गई। वहीं, यूनियन फाइनेंस मिनिस्ट्री के अनुसार, 2022-23 में देश में 95 हजार से भी ज्यादा यूपीआई फ्रॉड के मामले दर्ज हुए हैं।
कैसे होता है UPI फ्रॉड
पैसे रिफंड का रिक्वेक्ट
स्कैमर्स अलग-अलग तरीके से लोगों को यूपीआई के जरिए अपना शिकार बनाते हैं। इसमें एक तरीका यह भी है कि स्कैमर्स किसी यूजर के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करते हैं और फिर उन्हें कॉल कर कहते हैं कि गलती से उनका पैसा ट्रांसफर हो गया है। इसके बाद उनसे पैसे रिफंड करने को कहा जाता है। इसके लिए उन्हें यूपीआई का लिंक भेजा जाता है। जैसे ही इस लिंक पर यूजर क्लिक करते हैं, उनके फोन का कंट्रोल स्कैमर्स के पास पहुंच जाता है और वे डिजिटल वॉलेट या बैंक अकाउंट से पैसा गायब कर देते हैं।
QR कोड से ऑनलाइन फ्रॉड
क्यूआर कोड की मदद से भी स्कैमर्स यूपीआई यूजर्स को अपना निशाना बनाते हैं। सबसे पहले वे किसी यूजर को क्यूआर कोड भेजते हैं और जैसे ही आप इस पर अपना यूपीआई पिन भरते हैं, आपके अकाउंट से पैसे उड़ा लिया जाता है।
UPI फ्रॉड से बचने का तरीका
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