ग्लोबल लेवल पर वोडाफोन में मौजूदा समय में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। भारत में कंपनी आइडिया के साथ मिलकर काम करती है। यहां भी कंपनी नुकसान में चल रही है। छंटनी का असर भारत पर भी पड़ सकता है।
टेक डेस्क : दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियां लगातार छंटनी कर रही हैं। आए दिन किसी न किसी कंपनी में नौकरी जाने की खबर आ रही है। अब सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक वोडाफोन भी अपनी कंपनी में छंटनी (Vodafone Layoffs) करने जा रहा है। कंपनी की तरफ से बड़ा अनाउंसमेंट कर दिया गया है। कंपनी 11,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने जा रही है। CEO मार्गेरिटा डेला वैले ने बताया कि कंपनी में भारी बदलाव की आवश्यकता है। पहली तिमाही के आंकड़ों के बाद कंपनी ने यह फैसला लिया है। उनका कहना है कि कंपनी का परफॉर्मेंस बिगड़ रहा है। इसलिए ऐसे कदम उठाने की जरूरत है। बता दें कि ग्लोबल लेवल पर वोडाफोन में कुल 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं।
वोडाफोन में क्यों हो रही छंटनी
वोडाफोन ने छंटनी का फैसला तब लिया है, जब कंपनी की कमाई 1.3 परसेंट यानी 14.7 बिलियन यूरो पर आ गई है। यहा 15.5 बिलियन से भी कम है। कंपनी की तरफ से बताया गया है कि उसकी कमाई में गिरावट हाई एनर्जी कॉस्ट और जर्मनी में कमर्शियल अंडरपरफॉर्मेंस की वजह से हुई है। यह गिरावट अगले साल तक हो सकती है, कंपनी इसका आंकड़ा 13.3 बिलियन यूरो तक लगाए हुए है।
वोडाफोन में छंटनी का भारत में क्या असर होगा
वोडाफोन की छंटनी का भारत में पड़ने वाले असर की बात करें तो कंपनी यहां आइडिया के साथ मिलकर काम करती है। यहां भी कंपनी घाटे में चल रही है। हालांकि, बिड़ला ग्रुप की तरफ से एक बार फिर इस ज्वाइंट वेंचर को मजबूत करने का भरोसा दिया गया है, लेकिन वोडाफोन आइडिया कर्ज के बोझ के नीचे पूरी तरह दबे हैं, इससे उनकी राह यहां भी कठिन हो सकती है। वोडाफोन के छंटनी वाले फैसले का असर भारत में भी देखने को मिल सकता है। बिड़ला ग्रुप की सहमति के बाद ही कंपनी इस तरह का कोई फैसला लेगी।
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