चांद और सूर्य के बाद अब समुद्र की गहराई में उतरेगा ISRO, तैयार हो रहा समुद्रयान, जानें क्या है मिशन

भारत अपने पहले मानवीय पनडुब्बी मिशन पर काम कर रहा है। यह अभियान भारत के लिए काफी जरूरी है। समुद्रयान मिशन के जरिए महासागरों की गहराइयों में निकल, कोबाल्ट, मैगनीज जैसे खनिज की खोज में भी मदद मिलेगी।

Satyam Bhardwaj | Published : Sep 14, 2023 4:42 AM IST

टेक डेस्क : चांद और सूर्य पर अपना मिशन भेजने के बाद अब ISRO समुद्र की गहराई में जाने वाले मिशन पर काम कर रहा है. इस मिशन के जरिए इसरो समुद्र के रहस्यों की गुत्थी सुलझाने की कोशिश करेगा. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 11 सितंबर को एक जानकारी शेयर करते हुए बताया था कि इसरो अगले मिशन Samudrayaan या 'मत्स्य 6000' पर काम कर रहा है। चेन्नई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी में इस यान को तैयार किया जा रहा है। अपने ट्वीट में उन्होंने बताया कि यह यान तीन इंसानों को लेकर समुद्र की 6,000 मीटर की गहराई तक जाएगा और वहां वैज्ञानिक समुद्र के स्रोतों और जैव-विविधता के बारें में जानकारी जुटाएंगे। आइए जानते हैं क्या है इसरो का मिशन समुद्रयान, इसका क्या उद्देश्य है...

इसरो का मिशन समुद्रयान क्या है

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का समुद्री इकोसिस्टम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह एक डीप ओशन मिशन है, जिसे ब्लू इकोनॉमी को डेवलप करने के लिए हो रहा है। बता दें कि यह भारत का पहला मानवीय पनडुब्बी मिशन है। यह अभियान भारत के लिए इसलिए जरूरी बताया जा रहा है, क्योंकि इसके जरिए समुद्र के उन क्षेत्रों के बारें में जाना जा सकेगा, जिसकी जानकारी अभी तक नहीं है। सिर्फ कुछ ही देश अभी तक ऐसा कर पाए हैं। समुद्रयान मिशन के जरिए महासागरों की गहराइयों में निकल, कोबाल्ट, मैगनीज जैसे खनिज की खोज में भी मदद मिलेगी.

 

 

कब लॉन्च होगा मिशन समुद्रयान

इसरो अपने मिशन समुद्रयान की मत्स्य 6000 की सबमर्सिबल की टेस्टिंग बंगाल की खाड़ी में करेगा। पहले ट्रायल में इसे समुद्र की 500 मीटर तक की गहराई में भेजा जाएगा। साल 2026 तक ये सबमर्सिबल तीन इंसानों को लेकर महासागर के 6,000 मीटर की गहराई तक जाएगा।

किस चीज से बनाया गया समुद्रयान

'मत्स्य 6000' सबमर्सिबल को गहराई तक जाने के लिए इसकी परत को 80 मिलीमीटर मोटी टाइटेनियम से मिश्रित धातु से तैयार किया गया है। यह 12 घंटे तक लगातार काम कर सकेगा। इमरजेंसी सिचुएशन में यह 96 घंटे तक काम कर सकता है। 6,000 मीटर की गहराई पर समुद्र तल के दबाव से 600 गुना ज्यादा यानी 600 बार प्रेशर को झेल सकती है। इसका व्यास 2.1 मीटर का है।

मिशन समुद्रयान से भारत को क्या फायदा

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