तालिबानी भोजन और ईंधन को अंदराब घाटी में नहीं जाने दे रहे हैं। मानवीय स्थिति विकट है। हजारों महिलाएं और बच्चे पहाड़ों पर भाग गए हैं।
ट्रेंडिंग डेस्क. अफगानिस्तान में तलिबान के कब्जे के बाद वहां से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई जिसे देखकर कहा जा सकता है कि तलिबान किस तरह से लोगों के खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रहा है। इसी बीच अफगानिस्तान के एक्टिंग राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने उत्तरी बगलान प्रांत की अंदराब घाटी में गंभीर मानवीय स्थिति पर प्रकाश डाला है और तालिबान पर इस क्षेत्र में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। वहीं, पंचशीर ही एक ऐसा इलाका है जिसे तलिबान अब तक अपने कब्जे में नहीं ले पाया है।
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यह बयान तब आया है जब हाल ही में अंदराब क्षेत्र में तालिबान और घाटी के बलों के बीच संघर्ष की सूचना मिली थी। बता दें कि तालिबान विरोधी अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में पंजशीर घाटी में तालिबान बलों को स्थानीय बलों से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा- तालिबानी भोजन और ईंधन को अंदराब घाटी में नहीं जाने दे रहे हैं। मानवीय स्थिति विकट है। हजारों महिलाएं और बच्चे पहाड़ों पर भाग गए हैं। पिछले दो दिनों से तालिबानी बच्चों और बुजुर्गों का अपहरण कर रहे हैं और उन्हें ढाल बना रहे हैं। एक दिन पहले सालेह ने तालिबान को पंजशीर में घुसपैठ से बचने की चेतावनी दी थी। तलिबानियों ने पंजशीर के प्रवेश द्वार के पास लड़ाकों की भीड़ जमा कर ली है।
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अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से बचे एकमात्र पंजशीर में लड़ाई तेज हो गई है। पंजशीर घाटी अफगानिस्तान के उन चंद इलाकों में है, जहां अभी तालिबान का कब्जा नहीं हुआ है। ये दावा किया जा रहा है कि अंदराब में हुई लड़ाई में 50 से ज्यादा तालिबानी लड़ाके मारे गए हैं और 20 से ज्यादा लड़ाकों को बंधक बनाया गया है।
पंजशीर क्यों नहीं जीत पाया तलिबान
पंजशीर इलाका उत्तरी अफगानिस्तान में है और पंजशीर घाटी पहुंचने का एक ही रास्ता है और वो रास्ता पंजशीर नदी से होकर गुजरता है। ये रास्ता बहुत ऊबड़ खाबड़ और संकरा है। इस इलाके में तालिबान के खिलाफ 10 साल के बच्चे भी जंग के लिए तैयार रहते हैं। जब 1970 और 1980 के दशक में जब अफगानिस्तान में सोवियत संघ के समर्थन वाली सरकार का शासन था, तब भी पंजशीर आजाद था।