रिसर्च करने वाले डॉक्टर सैम ने दावा किया कि मौत के बाद भी शरीर में कई तरह की जटिल प्रक्रियाएं चलती रहती हैं।
ट्रेंडिंग डेस्क. ब्रिटेन के डॉ. सैम पार्निया द्वारा की गई एक रिसर्च ने फिर बहस छेड़ दी है कि आखिर मौत के बाद क्या होता है? डॉक्टर पार्निया ने वैज्ञानिकों के साथ मिलकर हार्ट अटैक की घटनाओं में होश खोने और बचकर वापस आए लोगों के अनुभव जाने। इसमें कुछ ऐसी बातें सामने निकलकर आईं जो हैरान करने वाली थी। ज्यादातर लोगों ने अपने शरीर से बाहर निकलने और अजीब दृश्य देखने जैसे अनुभव बताए।
25 सालों से मौत पर कर रहे रिसर्च
इस रिसर्च को डॉ. सैम पार्निया ने अपने साथियों के साथ पूरा किया है। डॉ. सैम पिछले 25 वर्षों से 'मौत के बाद क्या होता है' विषय पर रिसर्च कर रहे हैं। उनकी सबसे ताजा रिसर्च को शिकागो में हुए अमेरिका हार्ट एसोसिएशन के साइंटिफिक सेशन में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने लगभग 567 लोगों पर शोध किया था, जिसमें से 28 लोगों को मौत के करीब जाकर आने का एहसास हुआ। डॉ. सैम ने बताया कि हार्ट अटैक के मामलों में 90 प्रतिशत लोगों को नहीं बचाया जा सका, लेकिन जो बच गए उनमें से काफी कम थे जिन्हें कुछ याद था।
मौत के करीब जाने का एहसास
डॉ. सैम ने बताया कि इन 28 लोगों में से 6 लोगों को साफ-साफ याद है कि हार्ट अटैक के बाद उनके साथ क्या हुआ। इनमें से एक महिला ने दावा किया कि हार्ट अटैक आने के बाद उसने अपनी मरी हुई दादी को अपने पास खड़े देखा, जो उसे वापस अपने शरीर में जाने के लिए कह रही थी। वहीं दूसरे शख्स ने कहा कि उसे अटैक के बाद ऐसा लग रहा था कि वह अपने शरीर से बाहर निकल गया हो और उसे नर्क में जलने जैसी पीड़ा हो रही थी।
सामने आए ऐसे भी अनुभव
रिसर्च में आगे बताया गया कि कुछ लोगों ने संगीत की अजीब धुन, बचपन की यादें, अपनों के साथ बिताए लम्हों के फ्लैशबैक और सबकुछ धीमा पड़ने जैसे अनुभव भी किए। वहीं कई मरीजों ने खुद को एक तेज रोशनी की ओर जाता देखा जो उनके मुताबिक अंतिम मंजिल की ओर जाने का रास्ता था। हालांकि, इस रिसर्च में कुछ डॉक्टर्स ने अपना मत रखा कि ये उस जानलेवा स्थिति में शरीर को जिंदा रखने के लिए दिमाग की एक चाल भी हो सकती है।
डॉ. सैम ने निकाला ये निष्कर्ष
रिसर्च करने वाले डॉक्टर सैम ने दावा किया कि मौत के बाद भी शरीर में कई तरह की जटिल प्रक्रियाएं चलती रहती हैं। इसी वजह से निश्चित तौर पर मौत होने के बाद भी कुछ न कुछ एहसास शरीर काे होता रहता है। अपनी इस बात को जोर देते हुए उन्होंने कहा कि लोगों के मौत को करीब से देखने के ये अनुभव और इस दौरान दिमागी तरंगों में होने वाले बदलाव इस ओर इशारा करते हैं कि मौत के करीब होने पर या कोमा के दौरान लोग आंतरिक चेतना का ये अनोखा अनुभव करते हैं लेकिन इसे दिमाग की चाल कहना गलत होगा। उन्होंने ये भी कहा कि मौत होने के बाद दिमाग के कई अवरोध खत्म हो जाते हैं, जिसकी वजह से उसमें सालों से मौजूद यादें, बचपन से लेकर आखिर तक के खास पल, अपनों के साथ बिताए लम्हें, एक फ्लैशबैक की तरह चलते हैं और व्यक्ति को जीवन की असलियत का अनुभव कराते हैं। डॉ. सैम आखिर में कहते हैं कि इस घटना का क्या उद्देश्य होता है ये तो कोई नहीं जानता पर ये मानव चेतना और मृत्यु को लेकर बहुत कुछ बयां भी करता है और कई नए सवाल भी पैदा करता है।
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