युआन वांग-5 चीन का पहला जासूसी जहाज नहीं, 8 साल में तीन और जहाज भारत की जासूसी करने पहुंच चुके हैं

भारत के तमाम विरोध के बावजूद चीन ने आखिरकार मंगलवार को अपना जासूसी जहाज युआन वांग-5 श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के पास स्थित हंबनटोटा पोर्ट पर रोक ही दिया। यह जहाज यहां करीब एक हफ्ते तक रूक सकता है। 

Asianet News Hindi | / Updated: Aug 17 2022, 08:53 AM IST

कोलंबो। चीन का स्पाई शिप यानी जासूसी जहाज युआन वांग-5 आखिरकार मंगलवार, 16 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंच ही गया। भारत ने इस जासूसी जहाज को इस पोर्ट पर नहीं रूकने के देने के लिए श्रीलंका से कई बार कहा। अपना विरोध भी दर्ज कराया। पहले श्रीलंका ने जहाज को पोर्ट पर आने की इजाजत दे दी, मगर बाद में भारत के विरोध करने पर कहा कि जहाज नहीं रूकेगा। हालांकि, चीन के सामने उसकी एक नहीं चली और जहाज हंबनटोटा पोर्ट पर आकर रूक ही गया। 

दरअसल, यह जहाज बीते 13 जुलाई को जियानगिन पोर्ट से चला था। 11 अगस्त को यह हंबनटोटा पोर्ट पर पर पहुंचने वाला था। इस पोर्ट को श्रीलंका ने 99 साल की लीज पर ले रखा है। वास्तव में कहा जाए तो श्रीलंका को कर्ज देने के बदले चीन ने इस पोर्ट पर एक तरह से कब्जा कर लिया है। अब दिवालिया श्रीलंका विरोध करे भी तो कैसे, क्योंकि चीन से वह गले तक कर्ज में डूबा हुआ है। विरोध करने पर चीन कह देगा, हमारा पैसा वापस करो। तो विरोध की बात यहां खत्म हो गई। 

25 हजार टन वजन ले जाने में सक्षम 222 मीटर लंबा और करीब 25 मीटर चौड़ा 
चीन के पास इस सीरीज के एक, दो या तीन नहीं बल्कि, सात जहाज हैं। फिलहाल हम बात करेंगे युआन वांग-5 की जो थर्ड सीरीज का शिप है। चीन का यह जासूसी जहाज हंबनटोटा पोर्ट पर करीब एक हफ्ते तक रूकेगा। यह शिप 29 सितंबर 2007 को सेवा में आया। इसे जियानगिन शिपयार्ड में बनाया गया है। भारत इस शिप के यहां रूकने से इसलिए डरा हुआ है, क्योंकि चीन का यह खास तरीके का शिप है। यह स्पेस में सेटेलाइट ट्रैक कर सकता है। यानी इस शिप के जरिए सेटेलाइट, रॉकेट और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल की लॉन्चिंग को चीन ट्रैक कर सकता है। इस शिप का ऑपरेशन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की स्ट्रेटजिक सपोर्ट फोर्स करती है। पीएलए को इस जहाज से सूचना प्रोद्यौगिकी, साइबर वॉर, इलेक्ट्रॉनिक और साइकोलाजिकल वॉरफेयर मिशन में सहयोग मिलता है। इस जहाज की क्षमता 25 हजार टन तक है और इसकी लंबाई 222 मीटर चौड़ाई 25.2 मीटर है। यही नहीं दावा किया जाता है कि चीन इससे साढ़े सात सौ किलोमीटर दूर तक की बातचीत सुन सकता है और इस तरह ये भारत की टोह आसानी से ले सकता है। इसीलिए भारत इस शिप के हंबनटोटा पोर्ट पर खड़ा होने से डरा हुआ है। 

8 साल में चौथी बार चीन के जहाज भारतीय क्षेत्र के आसपास 
इससे पहले 2014 में चीनी पनडुब्बी चांगझेंग-2 हंबनटोटा पोर्ट आई थी। भारत सरकार ने तब भी विरोध किया था, मगर चीन नहीं माना। इसके बाद 2019 में अंडमान द्वीप समूह के पास चीन का नौसैनिक जहाज शी यान-1 आ गया था। हालांकि, भारतीय नौसेना ने चेतावनी जारी की, जिसके बाद वह चला गया। फिर 2020 के जनवरी महीने में करीब आधा दर्जन चीन के जहाज हिंद महासागर में आए और अब 2022 में युआन वांग-5 के आने से भारत की चिंता फिर बढ़ी है। 

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