कोरोना महामारी के दौरान हॉस्पिटल में भीड़ और डॉक्टरों के पास लंबी लाइन से बचने के लिए लोग बिना परामर्श ही दवा लेना शुरू कर दे रहे हैं। कुछ लोग तो पुराने कोरोना के मरीज से दवाओं का पर्चा मांगकर उसकी ही दवा खुद भी खा रहे हैं। कोरोना एक्सपर्ट्स ने इसे खतरा बताया है। डॉक्टरों ने इसे लेकर चेतावनी दी और कहा कि इससे कोरोना संक्रमण और भी ज्यादा घातक हो सकता है।
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के दौरान हॉस्पिटल में भीड़ और डॉक्टरों के पास लंबी लाइन से बचने के लिए लोग बिना परामर्श ही दवा लेना शुरू कर दे रहे हैं। कुछ लोग तो पुराने कोरोना के मरीज से दवाओं का पर्चा मांगकर उसकी ही दवा खुद भी खा रहे हैं। कोरोना एक्सपर्ट्स ने इसे खतरा बताया है। डॉक्टरों ने इसे लेकर चेतावनी दी और कहा कि इससे कोरोना संक्रमण और भी ज्यादा घातक हो सकता है।
10-15% कोविड केस में दवाओं की जरूरत
प्रोफेसर पुरी ने कहा कि कोविड -19 से संक्रमित 80 प्रतिशत लोगों को दवाओं की जरूरत नहीं है। सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत रोगियों को ऑक्सीजन लेवल के मॉनीटरिंग और पैरासिटामॉल की जरूरत होती है।
कौन सी दवाएं ले रहे हैं लोग
डॉक्टर से परामर्श लिए बिना ही लोग एंटीवायरल, स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक्स को लेना शुरू कर दे रहे हैं। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के डॉक्टरों ने इसे लेकर चेतावनी दी है। चंडीगढ़ के पीजीआई में प्रोफेसर जीडी पुरी ने कहा, जब भी कोई मरीज कोविड -19 का टेस्ट करवाता है तो उसके मन के डर होता है। मरीज इससे छुटकारा पाने के लिए दवाओं के लिए इधर-उधर भागता है।
बिना परामर्श स्टेरॉयड है खतरनाक
उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से दवाओं के बारे में बहुत गलत जानकारी है। कुछ दवाएं ऐसी हैं जो नुकसान पहुंचा सकती हैं। स्टेरॉयड जैसे ड्रग्स और रेमेडीसविर, टोसीलीज़ुमैब और इटोलिजुमैब का अनावश्यक इस्तेमाल नुकसान पहुंचा सकता है। ये दवाएं रोगी की मदद करने की बजाय और भी ज्यादा गंभीर कर देती है।
स्टेरॉयड कोविड की उग्रता को बढ़ा सकता है
पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने कहा कि स्टेरॉयड का बहुत ही संभलकर इस्तेमाल करें। एक्सपर्ट्स की देखरेख में ही इसे लें। पीजीआई ने एक केस स्टडी में बताया कि कई मरीज एंटीवायरल और स्टेरॉयड खुद से ही ले रहे थे, जिसके बाद उनकी बीमारी और भी ज्यादा बढ़ गई। प्रोफेसर पुरी ने कहा, स्टेरॉयड शरीर में वायरस की एक्टिविटी को बढ़ा सकता है। अगर इसे शुरुआती चरणों में दिया जाए तो यह वायरस से होने वाले नुकसान को और भी ज्यादा बढ़ा सकता है।
स्टेरॉयड से बढ़ सकती है मृत्यु दर
पीजीआई ने एक अध्ययन में बताया कि शुरुआत में ही स्टेरॉयड देने से मृत्यु दर बढ़ सकती है। स्टेरॉयड तभी दिया जाना चाहिए जब मरीज के ऑक्सीजन का लेवल 94 से नीचे गिरना शुरू हो जाए।
सीआरपी ज्यादा होने पर भी न लें स्टेरॉयड
प्रोफेसर पुरी ने सीआरपी ज्यादा होने पर भी स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने से मना किया है। संक्रमण के पहले हफ्ते में स्टेरॉयड से बचना चाहिए। इन दवाओं को पहले हफ्ते के बाद दिया जाना चाहिए। जब बुखार अधिक होता है।
सीटी स्कैन से कोविड का पता नहीं चलता है
प्रोफेसर जीडी पुरी ने कहा कि सीटी स्कैन केवल फेफड़ों के संक्रमण का पता कर सकता है। इससे कोविड की जानकारी नहीं मिलती है। अगर वायरस फेफड़ों तक नहीं पहुंचा है तो कोरोना की जानकारी नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से कुछ लोगों का मानना है कि सीटी स्कैन कोविड -19 का उपचार है। जो पूरी तरह से गलत है। सीटी स्कैन में कोविड से जुड़ी कोई भी जानकारी नहीं मिलती है। सीटी स्कैन सिर्फ फेफड़ों में इन्फेक्शन को दिखाता है।
रेमडेसिवीर का कैसे इस्तेमाल करें?
रेमडेसिवीर केवल ज्यादा जोखिम वाले रोगियों को दी जानी चाहिए। प्रोफेसर पुरी ने कहा, इस दवा को कभी भी घर पर नहीं लेना चाहिए। ये दवा रोगियों के लिए राम बाण इलाज नहीं है। ये सिर्फ मरीज को हॉस्पिटल से जल्दी डिस्चार्ज कराने में मदद करती है। रेमडेसिवीर इंजेक्शन ऐसे रोगियों को नहीं दिया जाना चाहिए जो लीवर जैसी बीमारी से जूझ रहे हो।
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