ये था सेना का पहला 'शहीद डॉग', कई जवानों को बचाने में ऐसे दी थी शहादत

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 90 के दशक की वॉर डायरी में उल्लेखित इस घटना के बारे में बताया।

श्रीनगर. भारतीय सेना के दो शहीद डॉग एक्सल और जूम का नाम काफी सुर्खियों में रहा है पर इनमें सबसे पहला था बैकर। दशकों पहले भारतीय सेना के इस स्निफर डॉग ने ऐसी बहादुरी दिखाई थी, जिसके लिए उस शहीद डॉग को आज भी याद किया जाता है। हालांकि, उस दौर में इंटरनेट नहीं होने की वजह से बैकर को उतनी लोकप्रियता नहीं मिल सकी थी, जितनी आज एक्सल और जूम को मिल रही है। बता दें कि 13 अक्टूबर को सेना का श्वान जूम भी एक ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गया।  जानें सेना के पहले शहीद डॉग की कहानी....

आतंकवादियों से पहले टक्कर लेता थ बैकर

Latest Videos

बात 1994 की है। कश्मीर घाटी में 90 के दशक में आतंकवाद पनपना शुरू हो गया था। उस दौर में आतंकवादी भारतीय सेना और उनके इलाकों को नुकसान पहुंचाने के लिए भारी मात्रा में खतरनाक विस्फोटक आईईडी (IED) का इस्तेमाल करते थे। IED के विस्फोट से सेना के कई जवान शहीद हो जाते थे। ऐसे वक्त में एक सीमित इलाके व सड़क की सुरक्षा का जिम्मा सेना के स्निफर डॉग बैकर (Backer) को सौंपा गया। बैकर की बहादुरी के किस्से आज भी सेना के अधिकारी सुनाते हैं।

जब बैकर ने बचाई जवानों की जान

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 90 के दशक की वॉर डायरी में उल्लेखित इस घटना के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि तीन साल के लैब्राडोर बैकर की ड्यूटी अनंतनाग में सड़क की निगरानी के लिए लगाई गई थी। तभी उसने आईईडी विस्फोटक का सूंघकर पता लगा लिया और सभी सेना के जवान सतर्क हो गए। इसके पहले कि विस्फोटक डिफ्यूज किया जाता, उसमें धमाका हो गया। इस धमाके में बैकर शहीद हो गया, पर सेना के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि बैकर ने खुद शहीद होकर जवानों की जान बचा ली। उस दौर के हर अधिकारी को ये घटना याद है।

डॉग्स को जवानों बराबर दर्जा

सेना के अधिकारी ने वॉर डायरी के आधार पर बताया कि बैकर 12 आर्मी डॉग यूनिट (ADU) का सदस्य था। इस यूनिट के डॉग्स को चिनार हंटर्स भी कहा जाता था। उन्होंने आगे कहा, सेना में शामिल किए गए डॉग्स को जवानों के बराबर दर्जा दिया जाता है। ये चार पैर वाले लड़ाके हमारे किसी भी ऑपरेशन में सबसे आगे और सबसे ज्यादा खतरे में रहते हैं। ये डॉग्स सेना की टीमों को पहले ही खतरे के बारे में आगाह कर देते हैं और कई मामलों में ढाल बनकर उनकी रक्षा भी करते हैं। सेना में लेब्राडोर, अलसेशियंस, बेलजियन शेफर्ड समेत कई प्रजाति के डॉग्स अलग-अलग यूनिट में सेवा दे रहे हैं।

जूम और एक्सल को भी किया याद

वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने 13 अक्टूबर को शहीद हुए सेना के डॉग जूम और उसके पहले शहीद हुए एक्सल को भी याद किया। उन्होंने जूम को लेकर कहा, जूम 28 एडीयू का सदस्य था। उसने अनंतनाग में आतंकवादियों की सही लोकेशन खोज ली थी और एक पर हमला भी कर दिया था। जूम की मदद से सेना ने आतंकियों को खोज लिया। हालांकि, आतंकियों की गोलियों से जूम बुरी तरह जख्मी हो गया था। एक गोली उसकी गर्दन में जा घुसी थी। मैं उसके ऑपरेशन के दौरान वहीं मौजूद था। डॉक्टर्स ने पांच घंटे सर्जरी कर उसे बचाने की कोशिश की पर ऐसा नहीं हुआ। वहीं जुलाई में शहीद हुए एक्सल को लेकर सैन्य अधिकारी ने कहा कि जूम और एक्सल दोनों बेलजियन शेफर्ड प्रजाति के थे, जिन्हें जर्मन शेफर्ड के साथ रखा जाता था। दोनों ही डॉग्स ने देश की सेवा में अपना बलिदान दिया, जिसे हमेशा याद किया जाएगा। पर 90के दशक में सबसे पहले शहीद हुए बैकर को इतनी लोकप्रियता हासिल नहीं हुई।

बैकर की कहानी सबतक पहुंचे

सैन्य अधिकारी ने कहा कि 90 के दशक में सोशल मीडिया तो दूर, इंटरनेट भी नहीं था। यही कारण है कि सेना में शहादत देने वाले सबसे पहले डॉग को उतनी लोकप्रियता नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए थी। वे आगे कहते हैं कि बैकर जिस 12 आर्मी डॉग यूनिट का सदस्य था उसमें आज मेलिनॉइस ब्रीड के दो डॉग हैं। दोनों भाई हैं, जिनका नाम कैडॉक और केन है। 12 आर्मी डॉग यूनिट सेना की सबसे ज्यादा सम्मान पाने वाली और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ यूनिट प्रशस्ति पत्र पाने वाली डॉग यूनिट है। सेना में कुल 30 से ज्यादा डॉग यूनिट हैं और हर यूनिट में 24 प्रशिक्षित डॉग हैं।

यह भी पढ़ें : प्रेग्नेंट महिला से 20 किलोमीटर के मांग लिए 11,000 रु, टैक्सी के अंदर हो गई थी ये मजबूरी

ऐसी ही रोचक खबरों के लिए यहां क्लिक करें...

 

 

Share this article
click me!

Latest Videos

पनवेल में ISKCON में हुआ ऐसा स्वागत, खुद को रोक नहीं पाए PM Modi
SDM थप्पड़कांड के बाद 10 धाराओं में दर्ज हुआ केस, हवालात में ऐसे कटी नरेश मीणा की रात । Deoli-Uniara
पहली बार सामने आया SDM थप्पड़ कांड का सच, जानें उस दोपहर क्या हुआ था । Naresh Meena । Deoli-Uniara
UPPSC Student Protest: डिमांड्स पूरी होने के बाद भी क्यों जारी है छात्रों का आंदोलन, अब क्या है मांग
Dev Diwali 2024: देव दिवाली आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और सबसे खास उपाय