ICMR की स्टडी: फ्रंटलाइन वर्कर्स को मौत को रोकने में 95 फीसदी प्रभावी है वैक्सीन की दोनों डोज

स्टडी तमिलनाडु के 1 लाख से अधिक पुलिसकर्मियों के बीच की गई है। ये वो पुलिसकर्मी हैं जिन्हें COVID-19 जाब्स दिया गया।

Asianet News Hindi | Published : Jul 7, 2021 7:16 AM IST

ट्रेंडिंग डेस्क. कोरोना वायरस का इलाज वैक्सीन ही है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक स्टडी से इस बात का खुलासा हुआ है। ICMR की स्टडी के अनुसार, COVID-19 वैक्सीन फ्रंटलाइन वर्कर्स की होने वाली मौतों को रोकने के लिए कारगर है। स्टडी तमिलनाडु के 1 लाख से अधिक पुलिसकर्मियों के बीच की गई है। ये वो पुलिसकर्मी हैं जिन्हें COVID-19 जाब्स दिया गया।

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ICMR ने एक ट्वीट में कहा, "स्टडी से पता चलता है कि COVID-19 वैक्सीन फ्रंट लाइन वर्कर्स के बीच मौतों को रोकने में प्रभावी है। वैक्सीन ने राज्य के पुलिसकर्मियों पर 82 प्रतिशत प्रभाव दिखाया, जिन्होंने सिंगल डोज ली थी। उन पुलिसकर्मियों पर 95 प्रतिशत दिखाई दिया जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ली है। राज्य पुलिस विभाग, आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर द्वारा की गई स्टडी को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित किया गया है।

तमिलनाडु में 1,17,524 पुलिस कर्मियों में से, 32,792 को एक डोज लगी है जबकि 67,673 को दोनों डोज लगी हैं। जबकि 17,059 को 1 फरवरी से 14 मई, 2021 के बीच वैक्सीन नहीं लगी है। इस साल 13 अप्रैल से 14 मई के बीच 31 पुलिसकर्मियों की मौत हुई जिनमें से चार ने वैक्सीन की दोनों डोज, सात ने एक डोज ली थी। जबकि 20 को वैक्सीन नहीं लगी थी।

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रिपोर्ट में कहा गया कि वैक्सीन की डोज नहीं लेने वाले, एक डोज लेने वाले और दोनों डोज लेने वाले की मौतों की घटना क्रमशः 1.17, 0.21 और 0.06 प्रति 1,000 पुलिस कर्मियों पर थी। एक और दो डोज के साथ COVID-19 मौतों को रोकने में वैक्सीन की प्रभावशीलता 95 प्रतिशत थी। 


स्टडी में कहा गया है कि राज्य के एक तृतीयक देखभाल अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों के बीच किए गए एक 'सहयोग' अध्ययन ने अस्पताल में भर्ती होने, ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता और आईसीयू देखभाल की आवश्यकता के खिलाफ वैक्सीन की दोनों डोज एक मजबूत सुरक्षात्मक प्रभाव का संकेत दिया। हालांकि, उम्र, कॉमरेडिडिटीज और कोविड​​-19 संक्रमण के पिछले जोखिम सहित संभावित कन्फ्यूडर के रूप में कुछ सीमाएं हैं। 

स्टडी में वैक्सीन के प्रकार की परवाह किए बिना, वर्तमान में और साथ ही COVID-19 महामारी की भविष्य की लहरों में मृत्यु दर को कम करने के लिए वैक्सीन के कवरेज को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। 

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