अंग्रेजों के बनाए गए वो 5 पुल जिन्हें आज भी देखकर हैरत में पड़ जाते हैं लोग

मोरबी हादसे के बाद ब्रिटिश काल में बने पुलों को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं। हालांकि, अंग्रेजों ने भारत को कुछ ऐसे पुल भी दिए, जो इसकी विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित हुए।

rohan salodkar | Published : Nov 1, 2022 2:02 PM IST / Updated: Nov 01 2022, 08:15 PM IST

आजादी से पहले भारत को अंग्रेजों ने कुछ चीजें अच्छी भी दीं जिसमें से एक था इंफ्रास्ट्रक्चर और इसके तहत किया गया पुलों का निर्माण। भारत के विभिन्न राज्यों में ब्रिटिश काल के ऐसे-ऐसे पुल आज भी टिके हुए हैं, जिन्हें देखकर लोग दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं। इनमें से कुछ बेहद विशाल हैं तो कुछ 120 साल से भी ज्यादा पुराने। जानें ब्रिटिश काल के ऐसे ही पुलों के बारे में...

पंबन ब्रिज, तमिलनाडु

(Pamban Bridge)

निर्माण पूरा हुआ : 1914, लंबाई : 6776 फीट

तमिलनाडु में स्थित पंबन पुल (Pamban Bridge) भारत के ऐतिहासिक रेल पुलों में से एक है। यह पुल रामेश्वरम को भारत के मुख्य भू-भाग से जोड़ने वाला एक मात्र रेलसेतु है। 1911 में इस पुल का निर्माण शुरू हुआ और 24 फरवरी 1914 को इसे खोला गया। 2010 में बान्द्रा-वर्ली सी लिंक बनने से पहले यह भारत का सबसे लंबा समुद्र पर बना पुल था। इस पुल पर से ट्रेन गुजरते देखना काफी रोमांचित करने वाला अनुभव होता है। अब सरकार द्वारा इसी पुल के समानांतर नया पंबन ब्रिज (New Pamban Bridge) तैयार किया जा रहा है, जिसकी आधारशिला पीएम मोदी ने रखी थी। यह 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा।

पुराना गोदावरी ब्रिज, आंध्र प्रदेश

(Old Godavari Bridge) 

निर्माण पूरा हुआ : 1900, लंबाई : 2.7 किमी

पुराने गोदावरी ब्रिज को हैवलॉक ब्रिज (Havelock Bridge) के नाम से भी जाना जाता है। लगभग सौ सालों तक इस रेलवे ब्रिज ने मद्रास और हावड़ा को जोड़े रखा। इस ब्रिज का निर्माण 11 नवंबर 1897 में शुरू हुआ और इसका नाम उस दौर में मद्रास के गवर्नर सर आर्थर हैवलॉक (Sir Arthur Elibank Havelock) के नाम पर पड़ा। बाद में इसे गोदावरी पुल नाम दिया गया। पुराने पुल का लाइफ स्पैन खत्म होने के बाद इसी के पास गोदावरी आर्क ब्रिज बनाया गया, जिसका वर्तमान में उपयोग किया जा रहा है। इसे New Godavari Bridge भी कहा जाता है।

कोरोनेशन ब्रिज, पश्चिम बंगाल

(Coronation Bridge)

निर्माण पूरा हुआ : 1941, लंबाई : 400 फीट

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में कोरोनेशन ब्रिज का निर्माण सन् 1937 में शुरू हुआ था। तिस्ता नदी के ऊपर बना ये ब्रिज दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी शहर को राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से जोड़ता है। इतिहासकार बताते हैं किंग जॉर्ज VI (King George VI) के राज तिलक (Coronation) के दौरान उनके सम्मान में इस ब्रिज को बनाया गया था। इसी वजह से इसका नाम कोरोनेशन ब्रिज रखा गया। उस दौर में ब्रिटिश अफसर जॉन चैंबर्स ने इस पुल का नक्शा बनाया था।

हावड़ा ब्रिज, कोलकाता

(Howrah Bridge)

निर्माण पूरा हुआ : 1942, लंबाई : 2313 फीट

हावड़ा ब्रिज भारत के सबसे प्रसिद्ध पुलों में से एक है। 1936 में इस ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1942 में यह पूरा हुआ था। इसके बाद 1943 में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया था। उस दौर में यह पुल दुनिया में अपनी तरह का तीसरा सबसे लंबा ब्रिज था। इस पुल को डिजाइन देने का श्रेय सर ब्रेडफॉर्ड लेस्ली को जाता है। वर्तमान में इस ब्रिज का नाम रवींद्र सेतु (Rabindra Setu) है, जिसपर से रोजाना डेढ़ से दो लाख वाहन प्रतिदिन गुजरते हैं। 

ब्रिज नंबर-541, हिमाचल

(Bridge no 541)

निर्माण पूरा हुआ : 1898, लंबाई : 174 फीट

कनोह रेलवे स्टेशन के करीब बना ब्रिज नंबर-541 देश ही नहीं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। कालका-शिमला रेल रूट पर यूं तो दर्जनों पुल ब्रिटिशकाल में बनाए गए पर ब्रिज नंबर-541 की खूबसूरती 124 साल बाद भी देखते ही बनती है। चार मंजिला आर्क गैलरी की तरह बना ये ब्रिज उस दौर में ईंट और गारा से बनाया गया था। इसपर आज भी ट्रेन का संचालन होता है, जो किसी अजूबे से कम नहीं है। विश्व के इस सबसे ऊंचे आर्क ब्रिज को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज में भी शामिल किया जा चुका है।

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