भारत को आजाद करने के लिए 15 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी गई? जानें क्या है इसके पीछे की वजह

एक तरफ गांधी जी भारत छोड़ो आंदोलन में थे, दूसरी तरफ नेहरू और जिन्ना के बीच बंटवारे का मुद्दा गर्माया था। इस बीच 30 जून 1948 तक बड़ा फैसला होने वाला था। तब माउंटबेटन ने ज्यादा इंतजार न करते हुए एक साल पहले यानी 1947 में ही भारत की आजादी का फैसला किया। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 7, 2021 7:34 AM IST / Updated: Aug 07 2021, 01:11 PM IST

नई दिल्ली. 15 अगस्त 1947 के दिन जब भारत आजाद हुआ था। तब लुईस माउंटबेटन देश के वायसराय थे। आजादी के बाद भारत के पहले गवर्नर जनरल बने। माउंटबेटन ही वे शख्स थे, जिसने भारत को आजाद करने के लिए 15 अगस्त की तारीख चुनी। लेकिन 15 अगस्त ही क्यों? मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा। 15 अगस्त को ही क्यों मिली आजादी...?

30 जून 1948 तक लेना था बड़ा फैसला

दरअसल, इसकी शुरुआत तक हुई, जब अंग्रेजों ने भारत की सत्ता को वापस देने का फैसला किया। उन्होंने इसके लिए एक टाइम पीरियड तय किया। ब्रिटिश संसद ने 30 जून 1948 तक भारत की सत्ता हस्तांतरित करने का वक्त दिया। 

एक तरफ गांधी जी भारत छोड़ो आंदोलन में थे, दूसरी तरफ नेहरू और जिन्ना के बीच बंटवारे का मुद्दा गर्माया था। इस बीच 30 जून 1948 तक बड़ा फैसला होने वाला था। तब माउंटबेटन ने ज्यादा इंतजार न करते हुए एक साल पहले यानी 1947 में ही भारत की आजादी का फैसला किया। अब सिर्फ तारीख तय करनी थी। 

15 अगस्त को ही क्यों मिली आजादी?

लैरी कॉलिंग और डोमिनिक लैपियर की किताब फ्रीडम एट मिडनाइट में माउंटबेटन ने इस तारीख का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि जब मुझसे पूछा गया कि क्या कोई तारीख तय की गई है, तो मुझे लगा कि ये जल्दी होना चाहिए। मुझे लगा कि अगस्त या सितंबर में तारीख तय करनी चाहिए। फिर मैंने 15 अगस्त की तारीख तय कर दी। 

इसके पीछे एक वजह ये भी दी जाती है कि 15 अगस्त 1945 को जापान के राजा हिरोहितो ने आत्मसमर्पण किया था। यानी 15 अगस्त को जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी बरसी थी। शायद इसलिए ही ये दिन चुना गया। 

हालांकि इसे लेकर और भी कई मत हैं। माउंटबेटन के तत्कालीन प्रेस सचिव कैंपबेल जॉनसन के मुताबिक, माउंटबेटन 15 की तारीख को लकी मानते थे। इसलिए ही उन्होंने ये तारीख चुनी।  इसी दिन जापन ने ब्रिटिश सेना के आगे हथियार डाल दिए थे।

15 अगस्त के दिन भी माउंटबेटन ने काम किया

15 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने ऑफिस में काम किया। इसके बाद दोपहर में नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की लिस्ट सौंपी और बाद में इंडिया गेट के पास प्रिसेज गार्डन में एक सभा को संबोधित किया। 

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