Google के जरिये 55 साल बाद खोज निकाली पिता की कब्र, मलेशिया में कहीं किया गया था दफन

कहते हैं Google के पास हर सवाल का जवाब होता है! अधिकतर मायनों में यह सच भी साबित हुआ है। अब यह मामला ही जानिए! ये है तमिलनाडु के तेनकासी (Tenkasi) के रहने वाले 56 वर्षीय पी. थिरुमरन, जिन्होंने गूगल सर्च के जरिये मलेशिया में अपने पिता की कब्र खोज निकाली।

Amitabh Budholiya | Published : Nov 23, 2022 5:47 AM IST / Updated: Nov 23 2022, 11:18 AM IST

ट्रेंडिंग न्यूज. कहते हैं Google के पास हर सवाल का जवाब होता है! अधिकतर मायनों में यह सच भी साबित हुआ है। अब यह मामला ही जानिए! ये है तमिलनाडु के तेनकासी (Tenkasi) के रहने वाले 56 वर्षीय पी. थिरुमरन(Thirumaran), जो अपने पिता की कब्र खोज रहे थे। थिरुमरन को अपने पिता की कोई याद नहीं है। बस उन्होंने सुन रखा था कि उनके पिता के रामासुंदरम उर्फ ​​पूनगुंट्रान मलेशिया में रहते थे और किसी स्कूल में पढ़ाते थे। थिरुमरन के पैदा होने के 6 महीने बाद ही उनकी मृत्यु हो गई थी। तब से वे अपने पिता की कब्र खोज रहे थे। Google सर्च के जरिये थिरुमरन (जो अब तिरुनेलवेली जिले के वेंकडमपट्टी गांव में एक एक्टिविस्ट हैं) हाल ही में अपने पिता की कब्र खोजने के लिए निकले थे। पढ़िए पूरी डिटेल्स...

37 वर्ष की उम्र में पिता की मौत हो गई थी
थिरुमरन बताते हैं-“मेरे पिता 37 वर्ष के थे, जब 1967 में एक बीमारी से उनकी मृत्यु हो गई थी। मेरी मां राधाभाई ने उन्हें दफनाया और मुझे लेकर मलेशिया से भारत वापस आ गईं। मां भी 35 साल पहले मर गईं। मैंने हमेशा यह जानना चाहा था कि उनके पिता को कहां दफनाया गया था?"

थिरुमरन ने कहा-"मुझे पता था कि वह मलेशिया के केरलिंग में 'केरलिंग थोट्टा थेसिया वकाई तमिल पल्ली' नामक एक स्कूल में पढ़ाते थे। गूगल के माध्यम से मैंने पाया कि स्कूल की इमारत जर्जर है और स्कूल को दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया है। मुझे प्रिंसिपल कुमार चिदंबरम का ईमेल पता मिला। मैंने उनसे संपर्क किया और अपने पिता की कब्र ढूंढ़ने की इच्छा जाहिर की। मेरी मदद करते हुए चिदंबरम ने रामसुंदरम के पुराने छात्रों मोहना राव और नागप्पन से संपर्क किया। दोनों अपनी उम्र के 80 के दशक में हैं। इसके बाद दोनों ने केरलिंग में अपने उनके पिता की कब्र देखी और फिर मुझे सूचित किया।"


थिरुमरन ने कहा-"मैं 8 नवंबर को मलेशिया गया और झाड़ियों में अपने पिता की कब्र देखी। हालांकि यह घिस चुकी थी। लेकिन समाधि के पत्थर पर मेरे पिता की छवि थी। साथ ही उनका नाम और जन्म और मृत्यु की तारीखें थीं। मैंने 16 नवंबर को भारत लौटने से पहले कई बार कब्र पर प्रार्थना की।” थिरुमरन खुद एक अनाथ होने के नाते एक अनाथालय चलाते हैं। वे कहते हैं-“मैंने लगभग 60 अनाथों की शादियां कराने में मदद की है और 100 से अधिक को नौकरी दिलाने में मदद की है। इसके अलावा मैंने 3,009 रक्तदान शिविर आयोजित किए हैं। अपने माता-पिता को खोने के बाद मुझे पता है कि एक अनाथ होना कितना कठिन होता है।” 

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